राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक प्रधानमंत्री ने की अध्यक्षता
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की अध्यक्षता की
- प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत 16.53 करोड़ रुपये किये सीजीएफ को भेंट
- जनता से गंगा की निर्मलता हेतु सहयोग और सुधार की अपेक्षा
गढ़ निनाद ब्यूरो * 14 दिसंबर 2019
कानपुर: आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक की गयी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री मोदी ने की. बैठक में जल शक्ति, पर्यावरण, कृषि और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य, शहरी मामलों, विद्युत, पर्यटन, नौवहन मंत्रालयों के केंद्रीय मंत्रियों और उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री, बिहार के उपमुख्यमंत्री, नीति आयोग के उपाध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। राष्ट्रीय गंगा परिषद की प्रथम बैठक में गंगा की ’स्वच्छता’, ‘अविरलता’ और ‘निर्मलता’ पर ध्यान केंद्रित करते हुए गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर किए गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा और विचार-विमर्श किया गया।
परिषद को गंगा और सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन की स्वच्छता की जिम्मेदारी
परिषद को गंगा और उसकी सहायक नदियों सहित गंगा नदी बेसिन के प्रदूषण निवारण और कायाकल्प का समग्र उत्तरदायित्व भी सौंप दिया गया। परिषद की प्रथम बैठक का उद्देश्य संबंधित राज्यों के सभी विभागों के साथ-साथ केंद्रीय मंत्रालयों में गंगा केंद्रित दृष्टिकोण के महत्व पर विशेष रूप से ध्यान देना शामिल है।
बैठक में पश्चिम बंगाल से किसी प्रतिनिधि बैठक में हिस्सा नहीं लिया। जबकि झारखंड से किसी प्रतिनिधि ने राज्य में जारी चुनाव और आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण इसमें भाग नहीं लिया।
बैठक में मुख्यतया प्रधानमंत्री मोदी ने ’स्वच्छता’, ‘अविरलता’ और ‘निर्मलता’ पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने गंगा नदी की स्वच्छता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर किए गए कार्यों की प्रगति की समीक्षा भी की। उन्होंने कहा कि मां गंगा उप-महाद्वीप की सबसे पवित्र नदी है और इसके कायाकल्प को सहयोगात्मक संघवाद के एक उत्कृष्ट उदाहरण के रूप में देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गंगा का कायाकल्प देश के लिए दीर्घकाल से लंबित चुनौती रहा है। मोदी ने कहा कि 2014 में सरकार द्वारा ‘नमामि गंगे’ का शुभारंभ करने के पश्चात इस दिशा में बहुत कुछ किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके तहत प्रदूषण उन्मूलन, गंगा का संरक्षण और कायाकल्प, कागज मीलों से रद्दी को पूर्ण रूप से समाप्त करने और चमड़े के कारखानों से होने वाले प्रदूषण में कमी जैसी उपलब्धियों को प्राप्त करने के उद्देश्य के साथ विभिन्न सरकारी प्रयासों और गतिविधियों को एकीकृत करने की एक व्यापक पहल के रूप में परिलक्षित है, लेकिन अभी इस दिशा में बहुत कुछ किया जाना शेष है।
केंद्र सरकार द्वारा पहली बार ने 2015-20 की अवधि में 20,000 करोड़ रुपये से पांच राज्यों में जिनसे होकर गंगा की धारा बहती है में पर्याप्त जल के प्रवाह को सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। जिसमें से तक 7700 करोड़ रुपये नवीन अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों के निर्माण में व्यय किए जा चुके हैं।
जनता से गंगा की निर्मलता हेतु सहयोग और सुधार की अपेक्षा
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि निर्मल गंगा के एक सुधारात्मक प्रारूप के लिए जनता से भी व्यापक स्तर पर पूर्ण सहयोग चाहिए, साथ ही उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नदियों के किनारों पर स्थित शहरों में भी समाज की जागरूकता से गंगा की स्वच्छता के लिए सर्वोत्तम कार्य-प्रणालियों को अपनाने और प्रसार की आवश्यकता है । आगे उन्होंने बताया कि योजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिए एक प्रभावी ढांचा प्रदान करने हेतु सभी जिलों में जिला गंगा समितियों की दक्षता में भी सुधार किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्तिगत 16.53 करोड़ रुपये किये सीजीएफ को भेंट
सरकार ने गंगा कायाकल्प परियोजनाओं के वित्तपोषण के लिए व्यक्तिगत, एनआरआई, कॉर्पोरेट संस्थाओं से योगदान की सुविधा हेतु स्वच्छ गंगा कोष (सीजीएफ) की स्थापना की है। माननीय प्रधानमंत्री ने अकेले 2014 के बाद से उन्हें मिले उपहारों की नीलामी और सियोल शांति पुरस्कार से प्राप्त धनराशि आदि से 16.53 करोड़ रुपये सीजीएफ के लिए भेंट स्वरूप प्रदान किए।
प्रधानमंत्री ने गंगा से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ एक सतत विकास मॉडल ‘नमामि गंगे’ को ‘अर्थ गंगा’ में परिवर्तित करने की एक समग्र सोच विकसित करने का आग्रह किया। इस प्रक्रिया के एक अंग के रूप में, किसानों को टिकाऊ कृषि पद्धतियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिसमें शून्य बजट खेती, फलों के वृक्ष लगाने और गंगा के किनारों पर पौध नर्सरी का निर्माण शामिल है।
इन कार्यक्रमों के लिए महिला स्व-सहायता समूहों और पूर्व सैनिक संगठनों को प्राथमिकता दी जा सकती है। इस तरह की कार्य-प्रणालियों के साथ जल से संबंधित खेलों के लिए बुनियादी ढांचे के विकास और शिविर स्थलों के निर्माण, साइकिल और चलने की पटरियों आदि के विकास से नदी के बेसिन क्षेत्रों में धार्मिक और साहसिक पर्यटन जैसी महत्वपूर्ण पर्यटन क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी। पारिस्थितिकी-पर्यटन और गंगा वन्यजीव संरक्षण एवं क्रूज पर्यटन आदि के प्रोत्साहन से होने वाली आय से गंगा स्वच्छता के लिए स्थायी आय स्रोत बनाने में मदद मिलेगी।
नमामि गंगे और अर्थ गंगा के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं और पहलों की कार्य प्रगति और गतिविधियों की निगरानी के लिए, प्रधानमंत्री ने एक डिजिटल डैशबोर्ड की स्थापना के भी निर्देश दिए, जिसके माध्यम से नीति आयोग और जल शक्ति मंत्रालय के द्वारा दैनिक रूप से गांवों और शहरी निकायों के डेटा की निगरानी की जानी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि आकांक्षापूर्ण जिलों की तरह, गंगा के किनारों पर स्थित सभी जिलों को नमामि गंगे के अंतर्गत हो रहे प्रयासों की निगरानी के लिए एक केंद्रित क्षेत्र बनाया जाना चाहिए।
बैठक से पूर्व, प्रधानमंत्री ने महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद को पुष्पांजलि अर्पित की और चंद्रशेखर आज़ाद कृषि विश्वविद्यालय में ‘नमामि गंगे’ पर किए जा रहे कार्यों और परियोजनाओं पर एक प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसके पश्चात, प्रधानमंत्री ने अटल घाट की यात्रा की और सीसामऊ नाले की स्वच्छता के सफलतापूर्वक पूर्ण किए गए कार्य का भी निरीक्षण किया।