नज़रिया: वैश्विक महामारी की चुनौती को अवसर में परिवर्तन करने का यह सही समय
डॉ० विष्णु कुमार शर्मा,
विभागाध्यक्ष – अर्थशास्त्र,
राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि
आज संपूर्ण विश्व कोरोना-19 के दौर से गुजर रहा है इससे मानव जाति का अस्तित्व खतरे में है। इस महामारी से कोई भी देश चाहे विकसित हो या विकासशील खतरे का स्पष्ट आभास कर रहा है, एक नज़र में देखें तो जो जितना सम्पन्न और शक्तिशाली उतना ही परेशान तथा महामारी से घिरा है। हमारा देश भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन हमारे लिए एक सुखद बात है, कि 132 करोड़ की आबादी और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के बाद भी 30 जनवरी से आज तक 25 हजार के आस-पास संक्रमित है, और मृतक 700 के आस-पास है, और वृद्धि दर घट कर 8 प्रतिशत है, यह सरकार की अथक मेहनत और दूरगामी सोच का परिणाम है।
किसी समस्या के आने और उसका साहस के साथ मुकाबला करने की आशा की किरण देखी जा सकती है। इसके लिए सोच का व्यापक होना सबसे महत्वपूर्ण होता है। कोरोना के आने से यदि चीन की विकास दर 6.5 से 2.5 होने का अनुमान है और भारत की विकास दर 5.3 से कम होकर 2.5 और 1.5 के बीच रहने का अनुमान विश्व के अर्थशास्त्री लगा रहे है। यहाँ हमें अपने धैर्य और साहस का परिचय देना होगा। क्योंकि चीन के मुकाबले भारत में श्रम कई गुना सस्ता है। इसलिए हमारे देश में उत्पादन लागत कम होने से विदेशी कम्पनियाँ जो 1990 से पूर्व भारत में न आकर चीन चली गयीं अब वर्ष 2020 में भारत की ओर उम्मीद से देख रहीं हैं। इस महामारी के आने से चीन में विदेशी कंपनियों को यह आभास होने लगा है, कि विकसित देश खास कर यूरोपियन देश चीनी माल का आयात कम कर देंगे या अपना व्यापार बंद कर देंगे।
गांवों में कृषि विकास के सही समय और संसाधन
हम इसी अवसर का लाभ उठा सकते हैं और यही समय है कोरोना वायरस के अभिशाप को वरदान में बदलने का तथा चीन को मात देने का। संक्रमण के कारण लॉकडाउन से बड़ी संख्या में श्रमिक शहरों, महानगरों से अपने-अपने गाँवों को वापस आ गए, और आगे भी आएंगे। हमारी सरकार को चाहिए कि इन श्रमिकों के घर वापसी का फायदा उठा कर मनरेगा या अन्य योजना के माध्यम से इनको काम उपलब्ध कराए। मुफ़्त अनाज नकद पैसा इस व्याप्त समस्या का अल्पकालीन निदान है। दीर्घकालीन हल खोजना है तो हर हाथ को काम देना ही होगा, जैसे-अधिक कृषि उत्पादकता के लिए खेतों का समतलीकरण, गांवो को शहरों से जोड़ने के लिए सड़को का निर्माण, भविष्य में सूखे से निपटने के लिए तालाबों और नहरों का निर्माण, गाँवों के सौन्दर्यकरण तथा स्वच्छता के लिए पक्के गली-मोहल्लों का निर्माण, चकबन्दी को प्राथमिकता देना, अधूरे सरकारी निर्माण कार्य को पूरा करना आदि।
यदि हम यह कार्य 6 माह से 1 वर्ष की अवधि में पूरा कर लेते है, तो इस विनाशकारी संक्रमण के बाद जो विश्व तथा देश ब्यापी मंदी और बेरोज़गारी की विकट समस्या उत्पन्न होगी उसका बड़ी कुशलता से मुकाबला कर पाएंगे और जब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य होगी तो यही असंगठित श्रमिक आवश्यकतानुसार शहरों और महानगरों में उद्योगों की ओर जाने लगेंगे, तब तक हमें कृषि विकास के लिए जो अतिरिक्त श्रम की आवश्यकता थी पूर्ण हो जाएगी और कृषि क्षेत्र का पर्याप्त विकास भी हो जायेगा।
वैश्विक कंपनियों के लिए बाजार उपलब्ध कर रोजगार अवसर तैयार करने का समय
जैसा कि मैंने आरम्भ में कहा कि चीन से आने वाली कंपनियों तथा निवेशकों पर सरकार गहरी दृष्टि रखते हुए भारत के बाजार में स्थापित कैसे और कहाँ करना है? उचित प्लान करे, क्योंकि इन कंपनियों को आभास है, कि भारत एक बड़े बाजार के साथ-साथ जनाधिक्य वाला देश है जहाँ श्रम सस्ता है, युवा उच्च कोटि का ब्रेन भी रखता है। भले ही वर्ष का आरम्भ निराशा से हुआ हो, परन्तु वर्ष 2020 का अंत आर्थिक महाशक्ति के प्रयास में उठाए गए कदमों से कर सकते हैं।