चर्चा: कोरोना संकट और साधनहीन पंचायतें
गढ़ निनाद न्यूज़ * 21 मई 2020
नई टिहरी। वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण को लेकर भले ही सरकार ने बिना बजट,बिना पीपीई किट,बिना मास्क,बिना सेनेटाइजर के सारी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों पर थोप दी है। वहीं प्रधान इस दूरगामी संकट को समझते हुए अपने स्तर से रात दिन क्वारन्टीन लोगों की देखभाल कर रहे हैं। क्या ऐसे प्रधानों को “कोरोना वारियर्स” का दर्जा नहीं मिलना चाहिए। जरूर मिलना चाहिए। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए।
गढ़ निनाद ने कोरोना पर एक चर्चा की शुरुआत करते हुए ग्राम पंचायतों से भी अपने विचार एवम समस्याएं रखने की अपेक्षा की है। क्योंकि बड़ी संख्या में घर गांव वापसी कर रहे प्रवासियों के क्वारन्टीन की पूरी जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है। हमें सबसे पहले देवप्रयाग विकास खण्ड की पंचूर ग्राम पंचायत से रजनीश कांत तिवाड़ी जी के विचार मिले। उनकी भावना, शिकायत और सुझाव “गढ़ निनाद पोर्टल” पर प्रकाशित किया।
इसी कड़ी में इसी विकास खण्ड की ग्राम पंचायत जगधार की महिला प्रधान संगीता देवी का कहना है:
“प्रशासन से आदेश मिलते ही ग्राम्य निगरानी समिति का गठन कर पूरी ग्राम पंचायत को सुरक्षित करने के लिए एक भी प्रवासी ग्रामवासी को गांव के भीतर नहीं जाने दिया। उनके लिए क्वारनटाइन सेंटर भी गांव से आधा किलोमीटर दूर राजकीय इंटर कॉलेज पौड़ीखाल को चयनित किया गया।”
उनका कहना है कि “आज गांव में अधिकांश संख्या बुजुर्गों व बच्चों की है जिनमें संक्रमण फैलने का खतरा अत्यधिक है और सब को सुरक्षित रखना आज उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।”
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जगधार के महावीर सिंह जो ग्राम्य निगरानी समिति के सक्रिय सदस्य हैं, का कहना है कि शासन/ प्रशासन के स्पष्ट गाइड लाइन ना हो पाने के कारण शुरू-शुरू में क्वारनटाइन करने में अनेकों दिक्कतें आई। परंतु प्रवासियों द्वारा पूरा सहयोग मिला और आज लगभग दो दर्जन प्रवासी क्वारन्टाइन सेन्टर मे रह रहे हैं।
क्वारन्टीन सेंटर करवाया सेनेटाइज़
प्रवासी व गांव वासियों की सुरक्षा हेतु दो बार पूरे ग्राम पंचायत को व तीन बार क्वारनटाइन सेंटर को पूरी तरह से सैनिटाइज करवाया गया।
महावीर सिंह का कहना है कि “सरकार को आपदा के इस समय में पूरा सहयोग करने वाली ग्राम्य निगरानी समितियो को सरकार द्वारा पुरस्कृत किया जाना चाहिए, विशेष तौर पर जो बिना संसाधनों के सहयोग कर रहे हैं ।”
“10-10 हजार दूर की बात, एक रूपया भी नहीं मिला”
साथ ही महावीर सिंह ने माननीय मदन कौशिक जी के प्रधानों को बजट आवंटन कर दिया है के बयान की घोर निंदा की है। जबकि किसी भी प्रधान को अभी तक इस फंड से 1 रुपया भी नहीं दिया गया, इससे प्रवासियों व प्रधानों में मतभेद उभर रहे हैं। साथ ही ग्राम प्रधानों की छवि भी धूमिल हो रही है।”
“गढ़ निनाद” को अच्छा लगा आपने विचार रखे। सरकार और प्रशासन को इस ओर जरूर ध्यान देना चाहिए। ग्राम पंचायतों को कोरोना के लिए अलग से तत्काल कम से कम 1-1 लाख रुपये तो दिए ही जाने चाहिए।