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प्रधानों का धर्म संकट, आखिर बिना साधन कैसे प्रवासीयों का क्वारन्टीन

प्रधानों का धर्म संकट, आखिर बिना साधन कैसे प्रवासीयों का क्वारन्टीन
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गढ़ निनाद, नई टिहरी 19 मई 2020

कोरोना संक्रमण के चलते देश-विदेश से हजारों की तादाद में प्रवासी अपने घर-गांव का रुख कर रहे हैं। प्रशासन, प्रवासियों को उनकी ग्राम पंचायतों तक पहुंचाने की इतिश्री कर पल्लू झाड़ने का काम कर रहा है। उन्हें प्रधानों के हवाले कर सारी जिम्मेदारी डाली जा रही है। उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की स्थिति वैसे भी दयनीय है, जर्जर भवन, शौचालय, पानी नहीं आदि-आदि। ऐसे में इन जर्जर भवनों में क्वारन्टीन लोग करें भी तो क्या? ग्राम प्रधानों के सामने धर्म संकट!

टिहरी जिले के अंतर्गत विकास खण्ड देवप्रयाग की पंचूर ग्राम सभा के दो विद्यालय छात्र न होने के कारण दो-तीन साल पहले बंद हो चुके थे। विद्यालयों के भवन खस्ताहाल हैं। कोरोना संक्रमण को देखते हुए ऐतिहात के तौर पर गांव लौटे लोगों को यहां रखा गया है। जीर्ण शीर्ण भवनों को लेकर शिकायत जायज है। लेकिन ग्राम प्रधान क्या करे? आनन फानन विद्यालय मरम्मत के लिए बजट नहीं है और बंद विद्यालयों के लिए शासन से भविष्य में पैसे मिलने का सवाल पैदा नहीं होता।

इधर प्रदेश सरकार की घोषणा है कि प्रवासियों की व्यवस्था के लिए ग्राम प्रधानों को दस दस हजार रुपये दिए जा रहे हैं। पंचूर अकेला गांव नहीं है, ग्राम प्रधानों से सवाल पूछे जा रहे हैं कि पैसे कहां हैं? 

पंचूर के रजनीश कांत तिवाड़ी को शिकायत है कि इस लड़ाई में ग्राम प्रधान लगभग अकेला है। उसको ही दोषी ठहराया जा रहा है। जो लोग आ रहे हैं, उनकी सूचना प्रधान को नहीं होती। जो गाड़ियां लेकर आ रही हैं उनको सैनिटाइज नहीं किया जा रहा है। चौकियों पर ठीक से जांच नहीं हो रही है। 

पंचायतों में बड़ी संख्या में नए लोग चुनकर आये हैं, उनको सरकारी नीतियों की जानकारी नहीं है या आधा अधूरी है। इन नीतियों को अमलीजामा पहनाने वाले सरकारी अमले को समझना तो और भी कठिन है।

 प्रवासियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार से उनकी उनकी अपेक्षाएं भी हैं। खाली गांव आबाद हों, इससे अच्छा क्या हो सकता है। लेकिन आने वाले लोगों में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है जो इस तरह व्यवहार कर रहे हैं मानो लौटकर गांव पर अहसान कर रहे हों। 

कई अच्छे उदाहरण भी हैं। क्वारन्टीन का सदुपयोग कर ऐसे युवा गांव गलियों की सफाई कर रहे हैं,फुलवारियां तैयार कर रहे हैं आदि रचनात्मक काम कर रहे हैं। इन को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। 

गढ़ निनाद” कोरोना प्रभाव के सभी पहलुओं पर चर्चा की ख्वाहिश रखता है। उम्मीद है कि आप इसमें शामिल होंगे। 

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(गोविन्द पुण्डीर)

संपादक गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल


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Govind Pundir

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