नई टिहरी: छोटी सी कोशिश, बड़ी आस

नई टिहरी: छोटी सी कोशिश, बड़ी आस
Please click to share News

विक्रम बिष्ट

                 बृजू की बगीची

गढ़ निनाद न्यूज़ * 6 मई 2020।

नई टिहरी: बृजमोहन सेमवाल की बगीची के गुलाब मुस्कुरा रहे हैं। नींबू, मौसमी के बढ़ते पौधे अपने हिस्से का आकाश चूमना चाह रहे हैं। धनिया, पुदीना की रसभरी पौधें अठखेलियां कर रही हैं। एलोवेरा और गिलोय के औषध पादप स्वस्थ नई टिहरी का पैगाम दे रहे हैं।

आप सोच रहे होंगे कि यह किसी ठीक-ठाक गृह वाटिका का दृश्य वर्णन है, अध-कचरा सा। वास्तव में महज 12-15 इंच चौड़ी सीमेंट की पट्टी पर बिछाई मिट्टी की परत पर यह बृजू का साकार होता सपना है।

क्या हम नई टिहरी के लोग इस सपने को अपना सपना बना सकते हैं?

1991-92 के आसपास नई टिहरी के चौराहों पर मॉडर्न आर्ट के पुतले खड़े किए थे। तब इस नए बन रहे शहर को स्विट्जरलैंड बनाने के सपने दिखाए जा रहे थे। फिर उन सपनों के साथ वे खल्वाट पुतले भी गायब हो गये। समय बीतता रहा। चौराहों पर भगवानों ने जगहें ले ली। कलयुग में भगवान तुरंत फल देते हैं,यदि वे सीमेंट, कंक्रीट, मार्बल्स के बने हों।

नई टिहरी को टिहरी बांध विस्थापितों के लिए बनाया गया है। लेकिन इसकी परिकल्पना महज पुर्नवास बस्ती की नहीं थी। बेशक स्विट्जरलैंड दुनिया की अकेली अनूठी संरचना नहीं है। कल्पनाशील दिमाग और दृढ़ संकल्प हो तो इससे बेहतर किया जा सकता है। टिहरी बांध को पर्यावरणीय शर्तों के साथ स्वीकृति दी गई थी। 

परियोजना स्तरीय मानीटरिंग समिति ने 9 अप्रैल 2003 की अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि नई टिहरी की सड़कें और आवासीय क्षेत्र पूरी तरह वनस्पति विहीन है। बड़ी शुरुआत की जानी चाहिए।

ऐसी बड़ी शुरुआत कहीं हुई है, क्या नगर वासियों को संतोष है? जो प्रयास दिखाने को हुए हैं वह भी खानापूर्ति भर रहे हैं। स्विट्जरलैंड बनाने वालों ने जहां जहां जमीनें बची थीं,अपने और अपनों के लिए स्विट्जरलैंड बना लिए। उनके पीछे वाले चुप क्यों रहते? पुश्तों, सीढ़ियों और नालियों की शामत आनी थी आ गयी। 1986- 87 को भूगर्भ वैज्ञानिकों ने जो देखा- बताया था, कब फट-फूट पड़े ? भगवान जाने।

अभी तो हम बृजू की बगीची से भविष्य की राह ले सकते हैं। बृजू की मंशा इस थोड़ी सी जगह को हथियाने की नहीं है। वह उन बहुत सारे मेहनतकश और ईमानदार लोगों में से हैं जो अपने पीछे और लोगों के लिए थोड़ी ज्यादा सुंदर जगह बना जाते हैं। महीनों पहले एक गाभिन गाय जो आवारा कुत्तों के निशाने पर थी,बृजू ने पशु चिकित्सक के सहयोग से और अपने पैसे खर्च करके बचाया था।अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए नहीं। ठीक हुई गाय के दूध का मजा तो किसी और गौ भक्त ने ही लिया होगा।

यहां तो सिर्फ देखना यह है कि क्या हम नई टिहरी के लिए एक बड़ा साझा सपना देख सकते हैं? जमीं पर उतारने के लिए हम संकल्प लें। शुरुआत तो करें।


Please click to share News

Govind Pundir

*** संक्षिप्त परिचय / बायोडाटा *** नाम: गोविन्द सिंह पुण्डीर संपादक: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल टिहरी। उत्तराखंड शासन से मान्यता प्राप्त वरिष्ठ पत्रकार। पत्रकारिता अनुभव: सन 1978 से सतत सक्रिय पत्रकारिता। विशेषता: जनसमस्याओं, सामाजिक सरोकारों, संस्कृति एवं विकास संबंधी मुद्दों पर गहन लेखन और रिपोर्टिंग। योगदान: चार दशकों से अधिक समय से प्रिंट व सोशल मीडिया में निरंतर लेखन एवं संपादन वर्तमान कार्य: गढ़ निनाद न्यूज़ पोर्टल के माध्यम से डिजिटल पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान करना।

Related News Stories