स्वयं को परिस्थितियों के अनुसार ढालने की जरूरत
गढ़ निनाद न्यूज़ *12 जून 2020
कोरोना महामारी से पूरी दुनिया आज खौफजदा है। शायद ही कोई ऐसा देश होगा जो इसके प्रभाव से अछूता रहा हो। दुनिया इसकी आहट से भयभीत है और जिस प्रकार उसने कोहराम मचाया हुआ है। उससे भयभीत होना भी स्वाभाविक है। वैज्ञानिकों के प्रयास के बावजूद भी वैक्सीन के नाम पर सबके हाथ खाली हैं। यही कारण रहा है कि अधिकतर देशों के लोग लॉकडाउन में जीवन जीने के लिए विवश है।
लॉकडाउन की नीति कुछ समय के लिए तो कारगर हो सकती है परन्तु लम्बे समय तक ऐसा करना सम्भव नही है। तीन माह के लॉकडाउन से लोगों के सामने आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति पैदा हो गई है। इस महामारी के कारण उद्योग धन्धों से लेकर स्कूल, कालेज, दुकानें, कृषि, यातायात सभी कुछ बन्द पड़े हुए है, जिसका सबसे अधिक प्रभाव मध्यम एवं श्रमिक वर्ग पर पड़ा है। अगर यही स्थिति आगे भी बनी रही तो आम आदमी के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो जायेगा। इसलिए बेरोजगारी और भूखमरी से बचने के लिए लॉकडाउन का खोला जाना आवश्यक है, जो लगातार कई क्षेत्रों में हो भी रहा है।
कोरोना जैसे दुश्मन ने लोगों में इतनी दहशत भर दी की वह तनाव और भय के माहौल में जी रहे है फलस्वरूप स्वास्थ्य कर्मचारी, पुलिस एवं सफाई कर्मचारियों पर पथराव जैसे अमानवीय घटनायें लगातार सामने आ रही हैं और इन घटनाओं से उत्तराखण्ड के गांव़ भी अछूता नही रहे। ग्रामीण क्षेत्रों से प्रवासियों की बसों पर पथराव एवं विरोध की घटनायें लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं, जो बहुत ही दुखद और शर्मनाक है। लेकिन प्रवासी लोगों के आने के बाद पहाड़ में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, जिससे लोगों में भय का महौल होना स्वाभाविक है। लेकिन अब वक्त आ गया है कि जब लोगों को कोरोना की दहशत से निकलकर उसी के साथ जीने की कला सीखनी होगी।
क्योंकि कोरोना के विषय में यह तो कहा नही जा सकता है कि उसकी सक्रिय रहने की समय सीमा क्या होगी।ऐसे में यदि काम-काज को शुरू नही किया जाता है तो बेरोजगारी और भूखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है, जिससे स्थितियां और भी खराब एवं चुनौतीपूर्ण हो सकती है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है हमें उसी के अनुसार अपने आपको ढालना होगा और कोरोना के साथ जीना होगा जैसे हमने अन्य बीमारियों के साथ जीना सीख लिया है। इसलिए लॉकडाउन को क्रमबद्ध तरीके से खोलकर धीरे-धीरे सभी काम धन्धे शुरू करने होंगे और स्वयं की सुरक्षा के साथ अन्य की सुरक्षा का दायित्व लेते हुए स्थितियों को सामान्य बनाने में सरकार का सहयोग करना होगा।
डॉ0 दलीपसिंह,
असि.प्रो.एवं विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान विभाग
अ.प्र.ब. रा. स्ना. महा. अगस्त्यमुनी, रुद्रप्रयाग