11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष
” जनसंख्या पर करें नियंत्रण”
-डॉ. सुरेंद्र दत्त सेमल्टी
जनसंख्या ने धारण कर लिया,अपना प्रचंड है रूप,
तनाव में मानव जी रहा, रात दिन वर्षा धूप।
धरा तो पहले थी जैसी, है आज भी उसी समान,
पर जनसंख्या वृद्धि छू रही, आज धरती से आसमान।
मानव संख्या बढ़ रही, घट रहे सघन हैं वन,
मकान दुकान घर के लिये, वृक्ष काट रहे हैं जन।
खेती का भी क्षेत्र बढ़ा, बढ़े अन्य भंडार,
पर मानवों की वृद्धि से, सब मान चुके हैं हार।
मानव पढ़ लिखकर कुछ, घूम रहे बेकार,
जीवन के इस मार्ग का, सभी जानते सार।
एक अनार सौ बीमार हैं, बढ़ी है बेरोजगारी,
जनसंख्या विस्फोट से, सब हार चुके हैं पारी।
अन्न की कमी सता रही, पड़ रही है धरती छोटी,
खुली जमीन में सो रहे, खाने को नहीं है रोटी।
यातायात साधन सदा, पड़ रहे हर पल अल्प,
जनसंख्या नियंत्रण ही, इसका एकमात्र विकल्प।
कुपोषण के शिकार हो रहे,गर्भवती मां और बच्चे,
सुखद भविष्य की दृष्टि से, यह लक्षण नहीं है अच्छे।
पुत्र की प्रबल कामना, मानो पुत्री भूस की ढ़ेर,
इस संकीर्ण सोच के कारण, हो रहा सदा अंधेर।
इस अंतर को पाटकर, दोनों को समझे सम,
कुछ समय के बाद ही, खुद जनसंख्या होगी कम।
जनसंख्या वृद्धि में रहा, निरक्षरता एक तत्व,
शिक्षा का प्रचार प्रसार कर, समझे इसका महत्व।
जो जनसंख्या नियंत्रित रहे, तो सहे न कोई कष्ट,
मिलकर सारे विश्व जन, समस्या को करें नष्ट।
परिवार नियोजन, संयम, ये इसका उपचार,
होगी नियंत्रित जनशक्ति, ध्यान रखें हर बार।