नहीं रहे आंदोलनकारी त्रेपन चौहान, पूर्णानंद घाट पर होगी अंत्येष्टि
गढ़ निनाद न्यूज़* 13 अगस्त 2020
नई टिहरी: भिलंगना ब्लाक को किसकी नजर लगी है कि एक के बाद एक युवा आंदोलनकारी भगवान को प्यारे हो गए। पहले लक्ष्मण राणा फिर धूम सिंह जखेड़ी और अब त्रेपन सिंह चौहान इस दुनिया में नहीं रहे। चौहान लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। उनके निधन की खबर सुनकर भिलंगना घाटी में शोक की लहर दौड़ गई है।
त्रेपन सिंह चौहान के निधन पर क्षेत्र के तमाम जनप्रतिनिधियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोक जताया है। त्रेपन चौहान का उत्तराखंड में जन आंदोलनों से अटूट नाता रहा । उन्होंने कई आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाई । उत्तराखंड आंदोलन रहा हो चाहे फ्लेण्डा जल विद्युत परियोजना या असंगठित मजदूरों का आंदोलन सबमें बढ़-चढ़ कर भागीदारी निभाई।
उनका आंदोलन और लेखन साथ साथ चलता रहा। “यमुना” और “हे ब्वारी” जैसे चर्चित उपन्यास लिखे। कहानियां और समीक्षाएं लिखी। कुछ कहानियों का कन्नड़ भाषा में भी अनुवाद हुआ। वह बहुचर्चित घसियारी प्रतियोगिता के सूत्रधार भी रहे।
त्रेपन चौहान का जन्म भिलंगना ब्लॉक के केपार्स गांव, बासर पट्टी भिलंगना टिहरी गढ़वाल में अक्टूबर 1971 को हुआ। 48 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। आज ऋषिकेश पूर्णानंद घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
गढ़ निनाद परिवार की ओर से भावपूर्ण श्रद्धांजलि, नमन।