8 सितम्बर: विश्व साक्षरता दिवस पर विशेष
” शिक्षा का फैलाएं प्रकाश “
-डॉ सुरेंद्र दत्त सेमल्टी
शिक्षा को गले लगायें, अंधकार को दूर भगायें।
इससे बुद्धि निर्मल होती, मानव इसको समझे मोती।
बूढ़े- तरुण हों चाहे बच्चे, इसे प्राप्त कर लगते अच्छे।
दिव्यांग इसे प्राप्त करें सब, रही नहीं है असुविधा अब।
देश हो साक्षर अब शतप्रतिशत, लिखने-पढ़ने की डालें लत।
उत्तराखंड प्रदेश हमारा, सब चाहते शिक्षित हो सारा।
महिला जब लिख पढ़ जाएगी, तब वह अपना हक पाएगी।
अनपढ़ तो होता है अंधा, संकट का पड़ता है फंदा।
होते अन्याय और अत्याचार, एक बार नहीं बारम्बार।
महिला हिंसा सहती सारी, संभाल रही जो जिम्मेदारी।
उसकी दुनिया चार दीवारी, अनपढ़ रहकर जीवन हारी।
शिक्षित जब ये हो जाएंगी , अपना हक पद तब पायेंगी।
अनपढ़ सर्वश्रेष्ठ है पाप ,क्यों सहते हो इसका ताप।
बच्चों से बूढ़ों तक सब, देवभूमि में शिक्षित हों अब।
शिक्षा सूर्य का सा प्रकाश , जिसमें दिखती सारी आश।
फैलाओ हर शहर- गांव- गली, मानव हित की है बात भली।
यहां का पर्यावरण है शुद्ध , आसानी से बन जाते हैं प्रबुद्ध ।
किया यहां ऋषि-मुनियों ने शोध, प्राप्त किया कई तरह का बोध।
पैर बढायें सब पढ़ने को, लें संकल्प आगे बढ़ने को।
इससे मनोबल सबका बढ़ेगा, हर मानव उन्नति के शिखर चढ़ेगा।
जब होगा साक्षर हर घर, सुख चैन से जीयेगा तब नर।
साक्षर भारत का जो सपना, उसे बनाये हर कोई अपना।
सुधरेंगी आगे की पीढ़ी, चढ़ेंगी सभी प्रगति की सीढ़ी।
समझेंगे पूर्वजों का वरदान,करेंगे सब श्रद्धा से सम्मान।