कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-8 )
दूसरा सत्यापन
विक्रम बिष्ट*
जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल के द्वारा संबंधित संस्थानों के लिए सत्यापन कर्ता अधिकारी नियुक्त किए गए। स्वामी पूर्णानंद कॉलेज में सत्यापन का जिम्मा जिला पशुधन अधिकारी नरेंद्र नगर को दिया गया।
24 फरवरी 2015 के पत्र में सत्यापनकर्ता अधिकारी ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि 2 अध्यापिकाओं की उपस्थिति में बीएससी के छात्र-छात्राओं से पूछताछ की गई। सभी ने बताया कि शासन द्वारा भेजी गई सूची में सिर्फ एक छात्रा कक्षा में पढ़ती है। वह छात्रा सत्यापन के समय उपस्थित नहीं थी।
गौरतलब है कि 19 फरवरी 2015 को समाज कल्याण विभाग का सत्यापन प्रधानाचार्य की उपस्थिति में किया गया था प्रधानाचार्य द्वारा 61 छात्र-छात्राओं के अध्ययनरत होने का प्रमाण पत्र विभाग को दिया गया।
प्रकरण की एसआईटी जांच चल रही है। वास्तविकता जांच पूरी होने के बाद सामने आएगी। इस मुद्दे पर कुछ लिखना उचित नहीं होगा। हमारा उद्देश्य छात्रवृत्ति भुगतान मामले में अपनाई गई प्रक्रिया से संबंधित घटनाक्रम को सार्वजनिक उजागर करने तक सीमित है।
सत्यापन अधिकारी ने अपनी आंख्या में बताया कि सत्यापन के समय sc-st एवं ओबीसी का कोई सत्यापन अधिकारी ने अपनी आख्या में बताया कि सत्यापन के समय एससी एसटी एवं ओबीसी का कोई भी छात्र-छात्त्रा उपस्थित नहीं थे।
शासन की सूची में दर्ज छात्र-छात्राओं के लिए दो पृथक पंजिकाएं बनाई गई हैं। एक में 34 और दूसरी में 30 छात्रों के नाम और 19 फरवरी तक उपस्थिति अंकित है। सूची के सभी सभी 61 छात्र-छात्राओं की आवेदन फार्म, शैक्षिक प्रमाण पत्र एवं बैंक खातों का विवरण संस्था के पास उपलब्ध है। जिनका सत्यापन किया गया। जिला कार्यालय द्वारा 26 फरवरी को सत्यापन आख्या मुख्य सचिव को भेजी गई। मुख्य सचिव कार्यालय ने 28 फरवरी 2015 को यह पत्र आवश्यक कार्यवाही हेतु अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण को भेजा।
जारी—-
कल अवश्य पढ़िए– कथा: दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाला (भाग-9)