बुधू : बहरा हुआ
गढ़ निनाद न्यूज़* 22 अक्टूबर 2020
नई टिहरी।
पूरा याद नहीं आ रहा है। रोज की तरह बुद्धू खबर खोज के बाद घर लौटा और चिंतन में डूब गया। जिन्हें आबकारी विभाग की लाइसेंसी संदिग्ध ब्रांड वाली नहीं, उसके बिना नींद ही नहीं आती। कल रात भी आई।
सुबह तड़के नगरपालिका के घंटाघर की घड़ी की मधुर तान से पहले ही पास से लाउडस्पीकर के कानफोड़ शोर ने नींद उड़ा दी। नींद क्या उड़ाई आधा घंटा से ज्यादा चैन भी उड़ाता रहा। अभी तक भी चैन नहीं लौटा। कोरोना विशेषज्ञ चेताते आ रहे हैं उच्च रक्तचाप वाले सावधान रहें। इधर धर्म विशेषज्ञ जोर जोर से धड़कनें बढ़ा रहे हैं। बुधू को भी कष्ट हुआ। इसलिए एक दिन देर से हाजिर है।
जहां से यह आवाज आ रही है उसके ठीक सामने जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है। मरीजों को प्रार्थना से शांति मिलती होगी । अस्पताल प्रबंधन इसमें मरीजों को जौलीग्रांट रेफर करने के अवसर देखता होगा।
भाषा कोई समस्या नहीं है। नगरवासी कितने इसे समझते हैं, गिनती के। ऊपर वाला तो समझता होगा। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई के हाल जगजाहिर हैं। जिनके पास एक ही मोबाइल है उनके लिए काफी दिक्कतें हैं। बच्चे दिनभर इससे जूझ रहे हैं। अभिभावकों को परिचितों से मोबाइल वार्ता का समय बच्चों के सोने के बाद मिलता है। हां धर्मज्ञ जी ने अभिभावकों की समस्या का समाधान कर दिया। उनका लाउडस्पीकर इतना तेज दहाड़ता है कि बच्चों को झिंझोड़ कर उठाने की जरूरत नहीं पड़ती।
अब एक काम सरकार जी को करना चाहिए। राजनीतिक दलों व संगठनों से कहें कि वह अपने धरना प्रदर्शन तड़के रात खुलने से पहले आयोजित करें । इस तरह सभी आवश्यक कार्य मुंह अंधेरे संपन्न हो जाएंगे। कानून जी को भी आराम-चैन मिलेगा। उम्मीद है इस पर अमल होगा।
शुभकामनाएं।
याद आ रहे है संत कबीर।
बुद्धू