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छात्रवृत्ति घोटाला: एसआईटी के जाल में एक और मछली फंसी

छात्रवृत्ति घोटाला: एसआईटी के जाल में एक और मछली फंसी
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गढ़ निनाद न्यूज़* 23 अक्टूबर 2020

नई टिहरी।

छात्रवृत्ति घोटाले की आंच अभी ठण्डी नहीं हुई है। एसआईटी ने इस मामले में नई टिहरी से एक और गिरफ्तारी की है। सूत्रों के अनुसार आरोपी ने प्रबंधन के साथ मिलकर यह काम किया। एसआईटी ने वृहस्पतिवार को बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले शैलेंद्र कृष्ण को बौराड़ी  नई टिहरी से गिरफ्तार किया है।

शैलेंद्र कृष्ण के खिलाफ 19 अक्टूबर 2019 को थाना मुनिकीरेती में मुकदमा दर्ज हुआ था। बताया जाता है कि आरोपी ने अंजनीसैन, हिंडोला खाल आदि इलाके में अनुसूचित जाति के छात्रों के प्रमाण पत्र आदि लेकर स्वामी पूर्णानंद डिग्री कॉलेज आफ टेक्निकलबएजुकेशन के साथ मिलकर छात्रवृत्ति का फर्जीवाड़ा किया था।

जांच अधिकारी एसआईटी व थानाध्यक्ष थत्यूड़ संजीत कुमार ने जांच में शैलेंद्र का नाम सामने आने पर आरोपी के खिलाफ मुनिकीरेती थाने में साल भर पहले मुकदमा दर्ज किया था। आरोपी को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है।

बता दें कि, गत वर्ष सितंबर में नैनीताल उच्च न्यायालय ने एससी, एसटी और ओबीसी के छात्र-छात्राओं को दी जाने वाली दशमोत्तर छात्रवृत्ति में हुई अनियमितताओं की जांच का आदेश दिया था। जांच के लिए एस.आई.टी. का गठन किया गया। जांच शुरू होने के कुछ दिनों बाद घोटालों के प्रकरण मीडिया की सुर्खियों में रहे। कई जिलों में मुकदमें दर्ज किए गए। कुछ गिरफ्तारियां भी हुईं। 

दरअसल छात्रवृत्ति समाज कल्याण विभाग देता है। इसलिए इसे विभाग का घोटाला ही आमतौर पर मान लिया गया। जबकि पकड़ में आने वाले कई फर्जी शिक्षण संस्थान और उनके संचालक  भी हैं। पहला सवाल तो यही है कि उत्तराखंड में इस तरह के संस्थान खुल कैसे रहे हैं, किसकी शह पर खुल रहे हैं।

गौर से देखें तो यह गड़बड़झाला हमारी व्यवस्था की उसी कमजोरी का एक और उदाहरण है, जो उत्तराखंड के लिए घातक सिद्ध हो रही है। यह प्रकरण समाज के कमजोर तबके के हितों से लेकर शिक्षा व्यवस्था तक जुड़ा है। इसलिए इसकी जांच पूरी दक्षता, निष्पक्षता और सार्थकता से होनी चाहिए।

दशमोत्तर छात्रवृत्ति योजना लोक कल्याणकारी सरकारी योजनाओं में से एक है। यह अनुसूचित जाति ,जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के दसवीं पास विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए सहायतार्थ प्रदान की जाती है। बीते लगभग 11 महीने से योजना व्यापक भ्रष्टाचार के कारण चर्चा में रही है। अधिकांश लोगों को अन्यथा इस योजना के बारे में पता तक नहीं होता। बिडम्बना कहें या हमारे राज समाज की विफलता कि जन कल्याण की योजनाओं के साथ यह आम बात हो गयी है।

यह छात्रवृत्ति एससी/ एसटी/ ओबीसी के एआईसीटीई, एमसीआई, एनसीटीई तथा तकनीकी शिक्षा परिषद उत्तराखंड के अंतर्गत मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को प्रदान की जाती है। इसका लाभ पात्र अभ्यर्थियों को पारदर्शिता के साथ यथाशीघ्र मिले उत्तराखंड शासन ने वर्ष 2014-15 से ऑनलाइन छात्रवृत्ति योजना लागू करने का निर्णय लिया।


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Govind Pundir

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