Ad Image

टिहरी संघर्ष यात्रा-3: भाजपा से सक्रिय रहे परस्पर विरोधी खेमे

टिहरी संघर्ष यात्रा-3:   भाजपा से सक्रिय रहे परस्पर विरोधी खेमे
विक्रम बिष्ट
Please click to share News

विक्रम बिष्ट

गढ़ निनाद समाचार* 5 अक्टूबर 2020

नई टिहरी। 1998-2004 तक का समय टिहरी के लिए सबसे ज्यादा मुश्किलों भरा था। सुंदरलाल बहुगुणा बांध विरोध के वैचारिक पहलुओं को थामे हुए थे। बांध के खिलाफ विहिप के मैदान में आने से विरोधी खेमे को कुछ बल तो मिला। लेकिन बांध बनना और विस्थापन तय मानकर आम लोग पुनर्वास को लेकर चिंतित थे। इसलिए आंदोलनों का वह दौर चला।

सत्तारूढ़ भाजपा नेता भी खेमों में बंटे थे। टिहरी के शिक्षण संस्थान हटे तो लोग स्वयं पुनर्वास स्थलों को चले जाएंगे। विद्यालयों के जबरन अंतरण के खिलाफ सांसद मानवेन्द्र शाह, उत्तर प्रदेश सरकार और फिर उत्तराखंड में मंत्री मातबर सिंह कंडारी जनता के पक्ष में डटे थे। विधायक नारायण सिंह राणा और लाखी राम जोशी विपक्ष में।

टिहरी शहर के प्राथमिक विद्यालयों का संपूर्ण पुनर्वास तक अंतरण रोकने का समर्थन सिफारिश उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों मंत्री प्रसाद नैथानी और किशोर उपाध्याय ने भी की थी। शिक्षा मंत्री नरेंद्र सिंह भंडारी ने अंतरण पर तत्काल रोक लगाई थी। 

संयुक्त अस्पताल तक सड़क  की हालत बहुत खराब थी। टिहरी के नये जिलाधिकारी बीसी चंदोला अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने इस सड़क की उचित मरम्मत की जरूरत स्वीकार की। यह खबर बांध बनाने वालों तक पहुंची तो अड़ंगा खड़ा कर दिया। सांसद मानवेंद्र शाह ने बस अड्डे की मरम्मत के लिए 5 लाख रुपये उपलब्ध कराना मंजूर किया। लेकिन विरोधियों की इच्छा भारी पड़ी।  टिहरी के साथ यहां से गुजरने वाले यात्री हिचकोले खाते रहे।


Please click to share News

Govind Pundir

Related News Stories