टिहरी की संघर्ष यात्रा- 8: डॉ जोशी विशेषज्ञ समिति

विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 12 नवम्बर 2020।
नई टिहरी। विहिप के आंदोलन का दबाव केंद्र सरकार पर पड़ना स्वाभाविक था। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की जांच समिति गठित कर दी। पहली बार गंगाजल की स्वशुद्धिकरण की क्षमता का मुद्दा जांच में शामिल किया गया था।
इस समिति की एक विशेषता परियोजनाकारों के लिए चिंता का कारण बन गई थी- हिमालय क्षेत्र के प्रसिद्ध भूगर्भ विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर खड़क सिंह वाल्दिया समिति में शामिल थे। प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत विशेषज्ञ ग्रुप ने 1980 और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की पुनरावलोकन समिति ने 1990 में टिहरी बांध निर्माण के खिलाफ सलाह दी थी। कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञ भी खिलाफ थे।
टिहरी बांध के खिलाफ आंदोलन छेड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी और प्रतिष्ठा वकील बीरेंद्र सकलानी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने दुनिया भर के बड़े बांधों के बारे में जानकारियां एकत्रित कर टिहरी बांध निर्माण को चुनौती दी थी।
आईआईटी रुड़की के वभूकंप विशेषज्ञ प्रो0 जय कृष्णा ने बांध को सुरक्षित करार दिया। सर्वोच्च अदालत ने तकनीकी मामला होने के चलते कोई निर्णय नहीं सुनाया।