उत्तराखंड राज्य पतन के कगार पर-किशोर उपाध्याय
गढ़ निनाद समाचार*24 नवम्बर 2020
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा है कि बेरोज़गारी के कारण उत्तराखंड राज्य की स्थिति अत्यन्त चिन्ताजनक हो गयी है। युवा पीढ़ी खाली हाथ होने से अवसादग्रस्त हो रही है। इसके लिए सीधे सीधे सरकार जिम्मेदार है। COVID-19 ने तो स्थिति को और भी गम्भीर बना दिया है।
उपाध्याय ने ‘गढ़ निनाद समाचार पोर्टल’ से कहा कि लॉक डाउन के बाद उन्होंने प्रदेश के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया है और उन्होंने पाया कि आज अगर प्रदेश की तीन प्रमुख समस्याओं की बात की जाय तो पहले नम्बर पर बेरोज़गारी है उसके बाद दूसरे नम्बर पर बेरोज़गारी है और फिर तीसरे नम्बर पर भी बेरोज़गारी ही है।
उपाध्याय ने कहा कि सेवायोजन कार्यालयों में 10 लाख से अधिक बेरोज़गार पंजीकृत हैं, जिनमे ज्यादातर ओवर एज हैं।
कहा कि लगभग 70 प्रतिशत उत्तराखंड की आबादी बेरोज़गारी से ग्रस्त है। 6 लाख से अधिक प्रवासी युवा बिना काम घर में बैठे हैं, अवसाद के कारण 200 से अधिक युवा आत्महत्या कर चुके हैं और सरकार कुंभकर्णी नींद में है, यदि मनरेगा स्कीम न होती तो स्थिति भयावह होती।
उपाध्याय ने कहा कि सरकार की रोज़गार सम्बन्धी योजनायें हवा-हवाई हैं, धरातल पर कुछ दिखाई नहीं दे रहा है। कहा कि प्रदेशवासियों को वनों पर पर उनके पुश्तैनी हक़-हक़ूक़ व अधिकारों की क्षतिपूर्ति दिये बिना बेरोज़गारी की समस्या का समाधान सम्भव नहीं है। साथ ही राज्य में सर्वाधिक रोज़गार देने वाले क्षेत्रों क्रमशः ठेकेदारी, परिवहन और पर्यटन क्षेत्र की दुर्दशा है।
उन्होंने कहा कि ठेकों में भयंकर भ्रष्टाचार व्याप्त है और परिवहन व पर्यटन क्षेत्र को ऋण दाता बैंकों द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है। उपाध्याय ने कहा कि वनाधिकार आन्दोलन के पाँचवें चरण का आरम्भ खटीमा से दिसम्बर के दूसरे सप्ताह से किया जायेगा। ज्ञातव्य है कि राज्य प्राप्ति के लिये पहली शहादत खटीमा में हुई थी।