सीएम की दो टूक- देवार में ही खुलेगी एनसीसी अकादमी
विपक्ष को मिला एक और मुद्दा
गढ़ निनाद समाचार* 29 जनवरी 2021।
श्रीनगर गढ़वाल। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एवम तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी के अथक प्रयासों से जिस एनसीसी अकादमी को देवप्रयाग विकासखण्ड के श्रीकोट माल्डा में स्वीकृत किया गया था वह अब पौड़ी जिले के देवार में ही शिफ्ट होगी।
अब देवार जाएगी NCC अकादमी!
सीएम ने पौड़ी गढ़वाल भ्रमण के दौरान साफ कर दिया है कि एनसीसी अकादमी पौड़ी के देवार में ही शिफ्ट होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो कदम आगे जाकर देवप्रयाग में एनसीसी अकादमी खोले जाने को कांग्रेस का बड़ा धोखा बताया।
कहा न शासनादेश न प्रस्ताव
सीएम ने कहा कि एनसीसी अकादमी पौड़ी जिले के देवार गांव में ही खोली जाएगी। सीएम ने बताया कि देवप्रयाग विकासखण्ड के श्रीकोट माल्डा में अकादमी खोलने को लेकर न ही कोई शासनादेश जारी किया गया था और न ही ग्रामीणों ने भूमि का कोई प्रस्ताव दिया था। अकादमी को लेकर कुछ कानूनी अड़चनें हैं, जिन्हें दूर कर जल्द ही शिलान्यास किया जाएगा।
विपक्ष को मिला मुद्दा
मुख्यमंत्री की इस दो टूक बयान के बाद अब एक बार फिर विपक्ष को देवप्रयाग विधानसभा में एक चुनावी हथियार मिल गया है। क्षेत्रीय विधायक विनोद कण्डारी की भूमिका अभी तक इस मामले में स्पष्ठ नहीं रही। उन्हें समय-समय पर जनाक्रोश भी झेलना पड़ा।
बता दें कि क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता गबर सिंह बंगारी ने इस मामले में कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया था, मामला अभी कोर्ट में है।
पूर्व में हाई कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के दिये थे निर्देश
गौरतलब है कि एनसीसी प्रशिक्षण संस्थान मामले में हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए राज्य व केंद्र सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए थे। याचिका में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी पक्षकार बनाया गया था।
गबर सिंह बंगारी ने दायर की थी जनहित याचिका
एनसीसी मामले को लेकर हिंडोलाखाल निवासी गबर सिंह बंगारी ने जनहित याचिका दायर की थी और कहा कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के कार्यकाल में तत्कालीन शिक्षा मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी के प्रयास से देवप्रयाग के श्रीकोट माल्डा में एनसीसी प्रशिक्षण संस्थान का शिलान्यास किया गया था। इसके लिए भूमि को ग्रामीणों द्वारा दान में दिया गया। जिसकी डीपीआर भी बन चुकी थी मगर विभागीय अधिकारियों की लापरवाही की वजह से भूमि हस्तांतरित नहीं हो सकी थी।
अब इस मामले में फिर से सियासत गरमाने की पूरी पूरी सम्भावना है।