तीसरा विकल्प या सत्ता में हिस्सेदारी (पांच)
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 23 जनवरी 2021
नई टिहरी।
आदर्शों, सिद्धांतों की बात छोड़िए, उत्तराखंड क्रांति दल अपने मुद्दों पर कागजी बयानबाजी और निरर्थक नारों के आगे जाकर संघर्ष के जमीनी मोर्चे पर घटने का जोखिम नहीं उठा पा रहा है। 1980-90 के दशक के उक्रांद के इतिहास में झांके तो आज इसकी दशा उसकी रद्दी कार्बन कॉपी जैसी ही है।
अब आम आदमी पार्टी कथित तीसरा विकल्प बनने की दावेदारी कर रही है। अतीत में उत्तराखंड में ऐसी दावेदारी कई व्यक्तियों, संगठनों ने की है। उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी का शानदार इतिहास रहा है। लेकिन राजनीतिक मोर्चे पर वह अपनी पुरानी पहचान और साख तक कायम नहीं रख सकी। उत्तराखंड मुक्ति मोर्चा से लेकर उत्तराखंड रक्षा मोर्चा तक कितने संगठन बने और उजड़ने का इंतजार किए बिना लापता हो गए। इनका बड़ा योगदान क्षेत्रीय राजनीति को कुछ अधिक भ्रामक बनाने में अवश्य रहा है।
आप उत्तराखंड में सत्ता हासिल करने पर फ्री बिजली, पानी जैसे मुद्दे उछाल रही है । यदि ऐसा हो जाए, जो कभी भी नहीं होने वाला तो क्या यह संभव है कि राज्य अपने नागरिकों को अनंत काल तक यह खैरात बांटता रहे। फिर फ्री शिक्षा, स्वास्थ्य, संचार और यहां तक बिना काम वेतन क्यों नहीं? जारी….