उत्तराखंड राज्य आंदोलन, भुलाये गये नींव के पत्थर-8
विक्रम बिष्ट
गढ़ निनाद समाचार* 1 मार्च 2021
रायचन्द राणा
रायचंद राणा जमीनी जुझारू कार्यकर्ताओं में से एक है। जिन्होंने बिना किसी नाम यश कामना के उत्तराखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज वह जुझारू युवा विकलांग का जीवन जी रहा है।
उसी के डालगांव के प्रधान और एसएसबी के पूर्व हवलदार कर्ण सिंह बर्त्वाल, खवाड़ा और लसियाल गांव के प्रधान राधाकृष्ण सेमवाल और दयाराम रतूड़ी 2 अक्टूबर को रामपुर चौराहे पर पुलिस लाठीचार्ज में बुरी तरह घायल हो गए थे।
उक्रांद नेता लोकेंद्र जोशी के ससुर राधाकृष्ण भिलंगना क्षेत्र में धरती माता के नाम से मशहूर रहे थे। दयाराम रतूड़ी को इंसाफ देने में शासन प्रशासन ने कंजूसी बरती। उनकी अपनी अलग कहानी है।
हरीश थपलियाल
हरीश थपलियाल टिहरी शहर के सबसे लोकप्रिय युवा चेहरों में से एक थे। फुटबॉल खिलाड़ी हरीश भाई का छात्र राजनीति में खास दखल था।
विजय पंवार (गुड्डू भाई) की अगुवाई वाले छात्र ग्रुप और यूएसएफ के बीच वह समन्वय का काम करते थे। उक्रांद के कार्यक्रमों में भाग लेते रहे थे। हालांकि दलगत राजनीति में उनकी रुचि नहीं थी।
टिहरी में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले फुटबाल टूर्नामेंट के लिए टीम लेने गये हरीश सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे।उनका इलाज के दौरान दिल्ली में निधन हो गया था। उनके साथ एक अन्य खिलाड़ी बालेंद्र सजवान की भी इस दुर्घटना में मौत हुई थी। टिहरी के लिए यह बड़ा सदमा था।
हरीश के पिता पूर्व प्रधानाचार्य राम प्रसाद थपलियाल शहर के लोकप्रिय और बहुत सम्मानित व्यक्ति थे। भाई राकेश मोहन थपलियाल मुंबई में है। अच्छे लेखक हैं। उनके संस्मरण टिहरी की यादों को जीवंत करते हैं।
उत्तम पुण्डीर
वर्ष 1988 में चंबा में स्थानीय इंटर कॉलेज के छात्र छात्राओं का उत्तराखंड राज्य के समर्थन में बड़ा जुलूस निकला था।
उसका नेतृत्व कालेज के जनरल मॉनिटर उत्तम सिंह पुंडीर ने किया था। तब से पुण्डीर उक्रांद में हैं। वह उत्तराखंड राज्य आंदोलन में सक्रिय रहे और उक्रांद के टिहरी गढ़वाल जिला अध्यक्ष रहे हैं। वह राज्य आंदोलनकारी चिन्हीकरण सलाहकार समिति के सदस्य रहे हैं , लेकिन प्रशासन की नजर में ख्याति प्राप्त आंदोलनकारी तो हैं लेकिन आंदोलनकारी नहीं हैं। ..जारी।