पर्यावरणविद बहुगुणा का निधन वैश्विक पर्यावरणीय क्षति: कुलपति डॉ ध्यानी
देहरादून/नई टिहरी, गढ़ निनाद ब्यूरो।
पर्यावरण संरक्षण के पुरोधा ‘वृक्ष मित्र’ के नाम से विख्यात और पद्मश्री व पद्म विभूषण से सम्मानित राष्ट्रीय विभूति श्री सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर डॉ0 पीतांबर प्रसाद ध्यानी कुलपति श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय एवं वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने शोक जताते हुए कहा कि बहुगुणा जी का निधन पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है।
डा0 ध्यानी ने अवगत कराया कि पिछले 40 वर्षों से उन्होंने हिमालय में पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में विभिन्न शोध कार्य किए हैं और एक पर्यावरणीय वैज्ञानिक होने के नाते उन्होंने दुनिया के 20 देशों में भारत सरकार की ओर से कई अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों आदि में प्रतिभाग किया और जब वह विदेशों में गए थे तो पर्यावरणीय वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों से वार्तालाप में हमेशा बहुगुणा जी का नाम ‘महान पर्यावरणविद’ के रूप में आता था और श्री बहुगुणा जी के बारे में और जानने की उनमें बहुत सी जिज्ञासाएं होती थी। विश्व के पर्यावरणविद और शिक्षाविद बहुगुणा जी के जीवन और सिद्धांतों से प्रेरित थे, और आगे भी प्रेरित होते रहेंगे।
डॉ0 ध्यानी ने यह भी अवगत कराया कि कल उन्होंने अपने गुरु, पद्मश्री डॉ आदित्य नारायण पुरोहित जी का एक फेसबुक संदेश पढ़ा, जिसमें उन्होंने लिखा कि आगामी 5 जून ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को श्री बहुगुणा जी को समर्पित करना चाहिए। इससे प्रेरित होकर कुलपति डा0 ध्यानी ने दोनों विश्वविद्यालयों श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय एवं वीर माधोसिंह उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आगामी 5 जून 2021 को आयोजित होने वाले ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ को श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी को समर्पित करने का निर्णय लिया है।
साथ ही साथ कुलपति डॉ ध्यानी ने यह भी निर्णय लिया है कि श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में संचालित ‘पर्यावरण विज्ञान’ पाठ्यक्रम में श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के व्यक्तित्व व कृतित्व को और चीर-स्थाई बनाने हेतु शामिल किया जाएगा।
अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कुलपति डा0 ध्यानी ने शोकाकुल परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं।