भागवत एक कल्पवृक्ष समान — डाॅ० सुरेश चरण बहुगुणा
 
						रायवाला। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। आवश्यक है कि मनुष्य इसे निर्मल भाव से सुनें और सत्य धर्म के मार्ग का पालन करें। यह प्रवचन घिल्डियाल भवन प्रतीतनगर रायवाला में शुक्रवार को श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के प्रथम दिवस कथा व्यास आचार्य डाक्टर सुरेश चरण बहुगुणा ने प्रकट किए।
कथा व्यास ने कहा कि भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। भागवत की महिमा सुनाते हुए कहा कि एक बार नारद जी ने चारों धाम की यात्रा की, लेकिन उनके मन को शांति नहीं हुई। नारद जी वृंदावन धाम की ओर जा रहे थे, तभी उन्होंने देखा कि एक सुंदर युवती की गोद में दो बुजुर्ग लेटे हुए थे, जो अचेत थे। युवती बोली महाराज मेरा नाम भक्ति है। यह दोनो मेरे पुत्र है, जिनके नाम ज्ञान और वैराग्य है। यह वृंदावन में दर्शन करने जा रहे थे। लेकिन बृज में प्रवेश करते ही यह दोनों अचेत हो गए। बूढे़ हो गए। आप इन्हें जगा दीजिए। इसके बाद देवर्षि नारद जी ने चारों वेद, छहों शास्त्र और 18 पुराण व गीता पाठ भी सुना दिया। लेकिन वह नहीं जागे। नारद ने यह समस्या मुनियों के समक्ष रखी। ज्ञान -वैराग्य को जगाने का उपाय पूछा। मुनियों के बताने पर नारद जी ने हरिद्वार धाम में आनंद नामक तट पर भागवत कथा का आयोजन किया।
मुनि कथा व्यास और नारद जी मुख्य परीक्षित बने। इससे ज्ञान और वैराग्य प्रथम दिवस की ही कथा सुनकर जाग गए। आज प्रथम दिवस की कथा में मुख्य यजमान भागवत भास्कर आचार्य डाक्टर कैलाश घिल्डियाल, नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज, साध्वी माँ देवेश्वरी जी, शान्तनु घिल्डियाल, शाश्वत घिल्डियाल, पं० शिवप्रसाद घिल्डियाल, पं० कृपाराम पोखरियाल, वेदाचार्य सुदर्शन उपाध्याय एवं बड़ी संख्या में श्रृद्धालु उपस्थित रहे।
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