बड़ोनी नहीं होते तो राज्य नहीं बन सकता था- किशोर
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , लाल बहादुर शास्त्री एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों को दी श्रद्धांजलि
नई टिहरी। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच एवं वनाधिकार आंदोलन के तत्वावधान में नई टिहरी स्थित शहीद स्मारक पर एक सर्वपक्षीय बैठक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी , लाल बहादुर शास्त्री एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान राज्य आंदोलनकारियों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया गया।
इस मौके पर वनाधिकार आन्दोलन के प्रणेता और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि आज लाल बहादुर शास्त्री जी और गांधी जी का भी जन्मदिन है, हमारे लिए सबसे बड़े गांधी तो इन्द्रमणि बड़ोनी जी हैं। अगर वह नहीं होते तो राज्य नहीं बन सकता था। अमेरिका ने भी लिखा था कि अगर आज के दिन गांधी जी को देखना है तो उत्तराखंड जाइए। हमारे लिए बहुत बड़ी बात है।
कहा कि जिस अवधारणा से बड़ोनी जी ने राज्य आंदोलन की नींव रखी शायद आज हम उसमें चूक रहें, आज हमें संकल्पबद्ध होना है। आज हमारे राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है, जल,जंगल जमीन पर हमारे अधिकार नहीं रहे। टिहरी के चारों ओर जंगल है, पुरानी टिहरी में लोग रहे जिन्हें सरकार ने यहां बसाया तो उन्हें फॉरेस्ट डेवलपर क्यों नहीं मान रहे हैं।
किशोर ने कहा कि हमें मंडल कमीशन के मानकों के अनुसार 27 प्रतिशत ओबीसी का आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। हमारी मांग है कि 2006 के वनाधिकार कानून को लागू कर हमें हमारे जो पुश्तैनी हक हकूक हैं उन्हें वापस दिया जाना चाहिए, हर परिवार के एक व्यक्ति को रोजगार , गैस सब्सिडी, बिजली पानी फ्री मिले, यहां के युवाओं का भविष्य उज्ज्वल और प्रशस्त हो इन सब मुद्दों पर आज हम चर्चा करेंगे। कार्यक्रम में कई वक्ताओं ने अपने विचार रखे।
कार्यक्रम में सुंदर लाल उनियाल, कमल सिंह महर, चंडी प्रसाद, राजेन्द्र असवाल, आंनद सिंह बेलवाल, इशरार अहमद फारुखी, महावीर उनियाल, खेम सिंह चौहान, श्रीपाल चौहान, राकेश राणा, देवेंद्र नौडियाल, श्रीमती दर्शनी रावत, आशा रावत, ममता उनियाल, लखबीर चौहान, दीवान सिंह नेगी, सौरभ कवि समेत कई लोग मौजूद रहे।