उत्तराखण्ड राज्य की समृद्धि के लिये एकजुट प्रयास आवश्यक- प्रो0(डॉ0) मोहन सिंह पंवार
नई टिहरी। श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय के विक्टोरिया क्रॉस शहीद गब्बर सिंह नेगी मेमोरियल हॉल में राज्य स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय के कर्मचारियों एवं अधिकारियों द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर आयोजित कार्यशाला में बतौर कार्यक्रम अध्यक्ष विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0(डॉ0) मोहन सिंह पंवार ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य विश्व में एकमात्र ऐसा प्रदेश है जहाँ जलवायु एवं भौगोलिक दृष्टि से सम्पूर्ण विभिन्नताएं एवं विषमताएं मौजूद हैं, जहाँ मैदानी क्षेत्रों में 47 डिग्री तक तापमान तथा हिमालयी क्षेत्रों में शून्य से भी नीचे तापमान विद्यमान रहता है, साथ ही रेगिस्तान से लेकर सदाबहार हरे-भरे क्षेत्रों से भरा हुआ उत्तराखण्ड अनोखा राज्य है। उन्होंने बताया कि स्वाभिमान एवं ईमानदारी के बलबूते उत्तराखण्डियों ने अपनी पहचान विश्व भर में स्थापित की है।
उन्होने शहीदों को नमन करते हुए उनकी शहादत की बदौलत उत्तराखण्ड के निर्माण से लेकर विकास की यात्रा पर प्रकाश डाला, प्रो0 एम0एस0 पंवार ने कहा कि श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय को प्रतिस्पर्धा में आगे बढाने के लिये सभी कर्मचारियों/अधिकारियों को दिन-रात प्रयासरत रहना चाहिये, उन्होने कहा कि कर्मचारियों को स्थायी किये जाने के प्रयास किये जायेंगे तथा शासन व सरकार से समन्वय स्थापित कर नये पदों का सृजन किया जायेगा जिससे कार्मिकों की कार्यकुशलता बढेगी तथा विश्वविद्यालय को विकास के पथ पर अग्रसर किया जा सकेगा।
विश्वविद्यालय के परीक्षा नियन्त्रक प्रो0 महाबीर सिंह रावत ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए बताया कि उत्तराखण्ड राज्य में विकास को सुनियोजित किया जाना आवश्यक है, उन्होने बताया कि निश्चित रूप से साक्षरता में प्रदेश ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है लेकिन रोजगार सृजन तथा व्यवसायिक शिक्षा पर अधिक बल दिया जाना आवश्यक है।
कार्यशाला में विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियन्त्रक डॉ0 हेमन्त बिष्ट द्वारा शहीदों के बलिदान को याद करते हुये बताया कि 10 नवम्बर 1995 में पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण कार्यवाही करते हुए आन्दोलन को दमन करने की कार्यवाही की गयी परन्तु जनता के सहयोग एवं भागीदारी से उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना की जा सकी है, उन्होने कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए उत्तराखण्ड आन्दोलन के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, उन्होने बताया कि स्व0 गिरिश चन्द्र तिवाड़ी (गिर्दा) तथा नरेन्द्र सिंह नेगी के साथ ही उत्तराखण्ड की संस्कृति के सम्वाहकों द्वारा जन आन्दोलन को गति देने के लिये अतुलनीय प्रयास किये गये जिनकी बदौलत उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन को गति मिली तथा उत्तराखण्ड राज्य का निर्माण हुआ है।
कार्यक्रम में विभिन्न वक्ताओं द्वारा राज्य आन्दोलन के साथ ही राज्य के विकास पर प्रकाश डाला गया। वक्ताओं ने कहा कि राज्य को अपेक्षाओं के अनुरूप पहचान नहीं मिल पायी है तथा राज्य की पौराणिक संस्कृति के साथ ही संसाधनों का भी हा्रस होता जा रहा है जिससे आने वाले समय में राज्य को पहचान देना मुश्किल होगा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सहायक कुलसचिव हेमराज चौहान, सहायक परीक्षा नियन्त्रक डॉ0 बी0एल0 आर्य, सुनील नौटियाल, प्र० निजी सचिव कुलदीप सिंह नेगी, जे0एस0 बिष्ट, वाई0एस0 भण्डारी, आर0एस0 रावत, दर्शन लाल सहित सभी कर्मचारी व अधिकारी उपस्थित रहे।