मुद्दा: विधानसभा चुनाव
महिलाओं को टिकट
विक्रम बिष्ट*
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट देने की घोषणा के बाद उत्तराखंड में भी यहां मांग उठने लगी है। टिहरी गढ़वाल जिला पंचायत की पूर्व सदस्य कैलाशी देवी ने सबसे पहले घनसाली विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की टिकट की दावेदारी पेश की है। सवाल यह है कांग्रेस का राष्ट्रीय और उत्तराखंड का प्रादेशिक नेतृत्व इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाएगा ?
उत्तराखंड में कांग्रेस का रिकॉर्ड ज्यादा अच्छा नहीं रहा है। पृथक राज्य बनने के बाद उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के बाद कांग्रेस में इंदिरा हृदयेश सबसे वरिष्ठ नेता थीं। वह 1974 में उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य निर्वाचित हुई थीं और लगातार चार बार सदस्य रहीं थी। हरीश रावत लगभग उसी दौरान पहली बार ब्लॉक प्रमुख निर्वाचित हुए थे।
डॉक्टर इंदिरा हृदयेश वरिष्ठता योग्यता के बावजूद कैबिनेट मंत्री और नेता प्रतिपक्ष से आगे नहीं जा सकीं। सरकार और संगठन के नेतृत्व के तराजू पर वह कमतर तोली गईं तो इसका मुख्य कारण उनका महिला होना नहीं था?
अभी हाल में यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी के बाद नैनीताल की पूर्व विधायक सरिता आर्या का बयान गौरतलब है। यह माना जा रहा है कि यशपाल आर्य अपने साथ नैनीताल से विधायक पुत्र का टिकट पक्का कर वापस घर लौटे हैं। यदि यह मुद्दा गरमाता है तो क्या कांग्रेस के बड़े बड़ा दिल दिखाएंगे ?आम तौर पर नेता कार्यकर्ताओं को कुर्बानी का पाठ पढ़ाते रहते हैं। महिला सशक्तिकरण की बातें करते हैं।
कांग्रेस, भाजपा और दूसरे दलों के नेता आगामी चुनाव में थोड़ा कुर्बानी का जज्बा दिखाएंगे?