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सुमन जयंती पर महाविद्यालय पोखरी क्वीली में कार्यक्रम आयोजित

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राजकीय महाविद्यालय पोखरी क्वीली में महाविद्यालय के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा श्रीदेव सुमन की जयंती के अवसर पर महाविद्यालय पोखरी में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
महाविद्याल की प्राचार्य डॉ. शशिबाला वर्मा के नेतृत्व में महाविद्यालय सभागार में श्रीदेवसुमन के चित्र पर उपस्थित सम्पूर्ण स्टाफ के द्वारा माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ0 शशिबाला वर्मा ने उनको याद करते हुए कहा है कि टिहरी राजशाही से प्रजा को मुक्ति दिलाने के लिए टिहरी के महान सपूत श्रीदेव सुमन की कुर्बानी को युगों-युगों तक याद किया जाता रहेगा। डॉ0 वर्मा ने कहा कि एशिया का सबसे ऊँचा बाँध पर बनी इस विशाल जलाशय को इन्हीं श्रीदेव सुमन के नाम पर ‘श्रीदेव सुमन सागर’ के नाम से भी जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि श्रीदेव सुमन का जन्म ऐसे समय में हुआ था, जब जनता राजशाही को ही आखिरी फरमान समझती थी। 25 मई, 1915 को श्रीदेव सुमन ने टिहरी के ही जौल गाँव में जन्म लिया था। टिहरी रियासत को अंग्रेज हालांकि कभी भी अपना गुलाम नहीं बना पाए थे, लेकिन यहाँ की हर कार्यवाही में उनका खुला हस्तक्षेप था।30 दिसम्बर, 1943 से 25 जुलाई, 1944 तक 209 दिन सुमन ने टिहरी की नारकीय जेल में बिताए श्रीदेवसुमन के जीवन पर विस्तृत बगतब्य दिया गया । इस अवसर पर डॉ0 राम भरोसे,डॉ वंदना सेमवाल,डॉ0 सुमिता पंवार, डॉ0 मुकेश सेमवाल, डॉ0 विवेकानन्द भट्ट,श्रीमती रचना राणा,श्रीमती रेखा नेंगी,श्री अंकित कुमार, अमिता, नरेन्द्र बिजल्वाण,दीवान सिंह, सुनीता आदी की उपस्थिति रही है।


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