सावन का पहला सोमवार कल: कैसे करें भगवान शिव की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
सावन मास आरंभ तिथि: 14 जुलाई
समापन तिथि: 12 अगस्त, शुक्रवार
सावन के महीने की शुरुआत 14 जुलाई से हो गई है। सावन का महीना भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस माह में विधि- विधान से भगवान शंकर की पूजा- अर्चना की जाती है। सावन माह के सोमवार का बहुत अधिक महत्व है। कल से का पहला सोमवार है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है।
क्या करें–
सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ वस्त्र धारण करें।
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
सभी देवी- देवताओं का गंगा जल से अभिषेक करें।
शिवलिंग में गंगाजल और दूध चढ़ाएं।
भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करें।
भगवान शिव की आरती करें और भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।
भगवान शिव का अधिक से अधिक ध्यान करें।
सावन सोमवार व्रत का महत्व-
सावन के सोमवार का बहुत अधिक महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। सोमवार का व्रत करने से भगवान शंकर की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सावन का महीना भगवान शिव को अति प्रिय होता है।
जानते हैं शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त– 04:13 ए एम से 04:54 ए एम
अभिजीत मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
विजय मुहूर्त– 02:45 पी एम से 03:40 पी एम
गोधूलि मुहूर्त– 07:06 पी एम से 07:30 पी एम
रवि योग– 12:24 पी एम से 05:35 ए एम,
निशिता मुहूर्त– 12:07 ए एम से 12:48 ए एम, जुलाई 19 को।
पूजन सामग्री की लिस्ट– पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।
सावन महीने के प्रमुख व्रत-पर्व:
25 जुलाई 2022 को प्रदोष,
26 जुलाई 2022 को मास शिवरात्रि,
28 जुलाई 2022 को हरियाली अमावस्या,
31 जुलाई 2022 को हरियाली तीज,
2 अगस्त 2022 को नागपंचमी
12 अगस्त 2022 को रक्षाबंधन।
श्रावण माह का महत्व
देवी पार्वती ने भगवान शिव को पतिरूप में पाने के लिए कठोर व्रत,उपवास करके भगवान शिव को श्रावण माह में ही पुनः पाया। श्री विष्णु,ब्रह्मा,इंद्र,शिवगण आदि सभी श्रावण में पृथ्वी पर ही वास करते हैं और सभी अलग-अलग रूपों में अनेकों प्रकार से शिव आराधना करते हैं। श्रावण में शिव की अर्चना करने से धरती पर भी सभी दुखों का शमन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस माह में की गयी शिव पूजा तत्काल शुभ फलदायी होती है। इसके पीछे स्वयं शिव का ही वरदान है। इस माह में दैहिक,दैविक और भौतिक तापों का नाश करने वाले शंकर जी की भक्ति पूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।