सिस्टम पर सवाल उठाती चिठ्ठी-विक्रम बिष्ट
टिहरी गढ़वाल । विमला भट्ट ने 25 अक्टूबर 2021 को मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार को अपने पति को न्याय दिलाने के लिए चिठ्ठी भेजी थी। उनके पति जीतमणि भट्ट को समाज कल्याण विभाग की दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में कथित संलिप्तता के लिए निलंबित किया गया था। उन्होंने अपने पति के निर्दोष होने तथा उन्हें फंसाने की कोशिशों का विस्तार से ब्यौरा देते हुए लिखा है कि ऐसे मामले में निलम्बन की अधिकतम अवधि छह माह निर्धारित है। लेकिन दो वर्ष होने को हैं उनका निलंबन वापस नहीं लिया गया है। उन्होंने विभागीय जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर कार्यवाही कर अपने पति की बहाली की मांग की थी।
जीतमणि भट्ट फिर भी महीनों तक निलंबित रहे हैं। अब वह अपने मूल प्रशिक्षण केन्द्र चमियाला में पदस्थ हैं सन 2019 के वेतनमान के साथ। उनकी बहाली विगत सितम्बर में हुई, श्रीमती भट्ट की सूचना का अधिकार का प्रयोग करने के बाद। सन 2019-20 में समाज कल्याण विभाग का घोटाला सुर्ख़ियों में रहा था। इसका विस्तार कई राज्यों तक रहा है। कितने दोषियों को सजा मिलेगी यह तो पता नहीं है। लेकिन कुछ संवेदनहीन सरकारी तंत्र के शिकार हो सकते, यह उत्तराखंड में तो नहीं होना चाहिए।
मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में विमला भट्ट ने लिखा है कि मेरे पति जीतमणि भट्ट विभाग के दिव्यांग प्रशिक्षण केन्द्र चमियाला टिहरी गढ़वाल में प्रशिक्षक पद पर कार्यरत थे। समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय नरेन्द्रनगर में होने के कारण उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार नई टिहरी में कैम्प
कार्यालय स्थापित कर श्री भट्ट को प्रभारी बनाया गया था। कैम्प कार्यालय का पोस्ट मैट्रिक छात्रवृति से कोई संबंध नहीं होने के बावजूद जीतमणि भट्ट को स्वामी पूर्णानन्द डिग्री कालेज ढ़ालवाला ऋषिकेश के छात्र-छात्राओं की तत्संबंधी जाँच का निर्देश दिया गया था।
19 फरवरी 2015 को श्री भट्ट जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय के संबंधित पटल सहायक के साथ डिग्री कॉलेज गए। उन्हें उपलब्ध कराये गये अभिलेखों के आधार पर जांच की गयी। उनकी टाइपिंग की समस्या के कारण जांच रिपोर्ट पटल सहायक ने तैयार की और इस बीच मुख्य सचिव ने 16 फरवरी को छात्रवृत्ति के आवेदन पत्रों की जांच उपजिलाधिकारी /तहसीलदार, बीडीओ एवं अन्य जिलास्तरीय अधिकारियों से करवाने का आदेश जारी किया।
24 फरवरी को मुख्य पशु चिकित्साधिकारी नरेंद्र नगर ने पूर्णानंद डिग्री कॉलेज के इन छात्र-छात्राओं जांच की। जिलाधिकारी ने 26 फरवरी 15 को यह जांच रिपोर्ट शासन को भेजी। तात्पर्य यह कि पहले की जांच स्वतः महत्वहीन हो गयी थी।
जारी…