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समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और जन जागरुकता

समाज में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति और जन जागरुकता
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डा. दलीप सिंह बिष्ट, नोडल अधिकारी नशा उन्नमूलन समिति ,अ.प्र.ब.राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,अगस्त्यमुनि,रुद्रप्रयाग

यदि किसी देश को अगर बर्बाद करना है तो वहां के युवाओं को नशे की आदि बनाया जाय और अगर युवावर्ग को नशे की लत लग गई तो वह देश स्वयं ही खत्म हो जायेगा। भारत एक युवा देश है जहां विश्व की सबसे अधिक युवा जनसंख्या निवास करती है। इस बात को देश के प्रधानमंत्री कई मंचों पर बार-बार उठाते रहते है। जिस देश में युवाओं की संख्या जितनी अधिक होगी मानव संसाधनों के मामले में वह देश उतना ही विकसित होगा। यही कारण है कि भारत पडौसी देश सहित कई देशों के लिए मादक पदार्थों का सबसे बड़ा केन्द्र बनता जा रहा है। पाकिस्तान आंतकबाद के साथ-साथ मादक पदार्थों का अवैध व्यापार देश के अन्दर जोर-शोर से करने में लगा हुआ है और पंजाब तथा राजस्थान में जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन मातक पदार्थों की खेप पकड़ी जा रही है वह एक चिंता का विषय है जिस पर गहनता से विचार करने की आवश्यकता है। 

उत्तराखण्ड देश के संवेदनशील राज्यों में एक है जिसकी सीमायें एक ओर नेपाल से तथा दूसरी ओर तिब्बत (चीन) से लगी होने के कारण यहां के युवाओं पर भी दुश्मन देशों की गिद्ध दृष्टि लगी रहती है। मादक पदार्थों के अवैध व्यापार में देश के अन्दर से भी कई असामाजिक तत्व सलिप्त हैं। उत्तराखण्ड राज्य बात की जाय तो प्रत्येक घर में एक आर्म का जवान अवश्य मिल जायेगा। लेकिन जिस प्रकार से यहां का युवा भी विभिन्न प्रकार के मादक पदार्थों में संलिप्त होता जा रहा है वह देवभूमि उत्तराखण्ड को विचलित करने वाला है। नशा उस आग की तरह होता है जो एक चिंगारी से शुरू होकर धीरे-धीरे पूरे जंगल को अपनी गिरफ्त में लेता है। यानि एक व्यक्ति शुरू होकर परिवार और फिर पूरे समाज को अपनी चपेट में लेकर समाज को अन्दर ही अन्दर खोखला करता जाता है। यह इस बात से भी समझा जा सकता है कि पहाड़ के किसी भी शहर, कस्बे या गांव में चले जाये, कोई भी समारोह चाहे शादी, जन्मदिवस, होली, दिपावली या अन्य किसी प्रकार का आयोजन को शराब के बिना अधूरा माना जाता है। इस बात को आज समाज में स्टेटस सिम्बल के रूप में देखा जाने लगा है, कौकटल पार्टी जितनी बड़ी हैसियत उतनी ही बड़ी मानी जाती है। इसके दुष्परिणाम कई बार दुर्घटनाओं के रूप में सामने आ चुके है जिसके पीछे विवाह की गाड़ी को चलाने वाला चालक का नशे में होना पाया जाना है। नशे का चलन जितनी तेजी से पहाड़ बढ़ता जा रहा है उतनी तेजी से दुर्घटनायें भी बढती जा रही है जिनके पीछे कई कारणों में एक कारण नशा भी होता है। युवाओं के बीच नशे का चलन बहुत तेजी से बढता जा रहा है जो गम्भीर चिंता का विषय है, शिक्षण संस्थाएं भी इससे अछूती नही रही हैं। शिक्षण संस्थाओं में युवाओं के बीच कई प्रकार के नशे की प्रवृत्ति भी बढती जा रही है जिसमें अभिभावकों के साथ समाज भी कम जिम्मेदार नही है। दुकानों से लेकर अभिभावको की अनदेखी एवं भागदौड़ भरी जिंदगी में कोई भी अपने बच्चों पर उचित ध्यान नही दे पा रहा है तथा संयुक्त परिवार खत्म हो चुके है जिसके कारण यह बीमारी और भी तेजी अपने पैर पसार रही है। इसीलिए सरकार को ड्रग फ्री देवभूमि के तहत पूरे प्रदेश की शिक्षण संस्थाओं में जनजागरूकता कार्यक्रम चलाने पड़ रहे है, जिससे युवाओं को नशे के दुष्परिणामों के विषय में जानकारी देकर बचाया जा सके। मेरा मानना है तथा उत्तराखण्ड के जनमानस से आग्रह है कि वह किसी भी समारोह में कौकटल पार्टी के स्थान पर बुरांस, माल्टा, आवला, पोदीना आदि विभिन्न प्रकार जूस तथा कोदा, झंगोरा, काफली, फांडू आदि स्थानीय उत्पादों को परोसे, जिससे एक ओर समाज को नशे के प्रकोप से बचाया जा सके और दूसरी ओर स्थानीय उत्पादों को बढावा मिलने से युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकें। हमारा मुख्य उद्देश्य समाज को नशे के प्रकोप बचाना है और इसके समाज के सभी वर्गों को आगे आकर मादक पदार्थों का बहिष्कार करना होगा जिससे राज्य देवभूमि ही बना रहे। नशा उन्नमूलन के विषय में मेरा स्वरचित गीत-

नशा न करा

नशा नी करा भैज्यों, नशेड़ी नी हवाण।

बाल-बच्चो न भैज्यों, क्या जैं खाण।।

कर्यूं-कमायूं भैज्यों, नशा मा नी उडावा।

कुटम्ब-परिवार पर, तुम ध्यान देवा।।

नशा करीक भैज्यों, बुरा हाल होणा।

घर-परिवार भैज्यों, बर्बाद होणा।।

पूड़ी-पाटळी बेचीक, दर-बदर होय्या।

नशा करीक भैज्यों, जगा-जगा पड्या।।

जीवन अममोल छी, बौडीक नी औण।

ब्वे-बाबा कू समाज मा, नौ नी धरौंण।।

सरकार राज्य मा, नशा उन्नमूलन चलौणी।

ड्रग फ्री देवभूमि, इन्नू काम करौणी।।

स्कूल कालेजू मां, खूब प्रचार करावा।

ईं-बीमारी सी तुम, बच्चों कैं बचावा।।

नशा नी करा भैज्यों, घर-परिवार बचावा।

बाल-बच्चों पढैक, तुम काबिल बणौवा।।

देवभूमि उत्तराखण्ड बिटी, नशा भगौण।

देवतों की भूमि या, खुशहाल बणौण।।

सब्बी भै-बन्धु ये मा, सहयोग देवा।

उत्तराखण्ड कू नौ, रोशन करावा।।

अवा भैज्यों सब्बी, इन्नी प्रतिज्ञा लेवा।

न नशा करा भैज्यों, न कन्न देवा।

नशा नी करा भैज्यों, दुखी नी ह्वाण।

नशा करीक भैज्यों, घरवार नी ख्वाण।।


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Govind Pundir

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