घनसाली नगर पंचायत के कमल सिंह रावत की सात बकरियाँ बाघ ने खाई
पहाडों में बाघों का आंतक रुकने का नाम नहीं ले पा रहा है। खौप के साये में रहते हैं लोग
घनसाली से लोकेन्द्र जोशी की रिपोर्ट। मिली जानकारी के अनुसार नगर पंचायत घनसाली के वार्ड नम्बर सात निवासी कलम सिंह रावत घोण्टियाल की तीन बकरियाँ बाघ ने खाई। जबकि चार बकरियाँ अभी भी ला पता है।
नगर पंचायत घनसाली गिरगांव निवासी श्री कलम सिंह रावत के परिवार का आज भी मुख्य ब्यवसाय कृषि एवं पशुपालन है और कलम सिंह रावत स्वयं एक हाथ से दिव्यांग है।
कलम सिंह रावत के पुत्र युद्धवीर सिंह रावत ने बताया कि, उनके पिता कलम सिंह रावत दिनांक 25 अप्रैल को अपनी बकिरियों के चुगान हेतु रोज मर्रा की भाँति घनसाली टिहरी मार्ग के शनि मंदिर के नीचे की पहाड़ी क्षेत्र में ले गए थे और शाम को बकरियों को ले कर घर वापस आ गए।
युद्धवीर रावत ने जानकारी से अवगत कराया कि 26 अप्रेल की सुबह घर के सदस्यों ने जब बकरियों को कम होते देखा कि सात बकरियाँ कम है। इस पर परिवार के लोगों के द्वारा शनि मंदिर के आस पास दिन भर बकरियों की खोजवीन करते रहे।परंतु कोई सुराग न मिलने से खोज तेज की गयी। तो लग भाग चार बजे शाम तीन बकरियों के शव, शनि मंदिर क्षेत्र के ठीक नीचे भिलंगना नदी के समीप झाड़ियों में अलग अलग जगहों पर क्षत विक्षत पड़े मिले । जबकि शेष चार बकरियाँ अभी अभी ला पता है।
पीड़ित परिवार के सदस्य युद्धवीर सिंह रावत ने बताया, घटना की सूचना पशुपालन विभाग तथा बन विभाग को दे दी गयी है। सूचना मिलने पर पशुपालन विभाग के लोग मौके पर गए। परंतु पुख्ता कार्यवाही देर होने के कारण नहीं हो पायी। जिससे शव अपनी अपनी जगहों पर पड़े हैं।
आपको बताते चलें घनसाली नगर पंचायत बड़ी आवादी क्षेत्र है। जो कि चारों ओर ,खड़ी पहाड़ियों के चीड़ बन क्षेत्र से घिरा है। जंगली जानवरों के पीने के पानी नगर पंचायत क्षेत्र के बीचों बीच बहने वाली एक मात्र भिलंगना नदी साधन है। जिस कारण भी जंगली जानवर बाघ आदि दिन में भी लोगों को आवादी क्षेत्र में भी दिखाई पड़ता है।
जिसको देखते हुए,जन धन की हानि न हो इसलिए बन विभाग के द्वारा माइक लगी गाड़ीयों से लोगों को घरों में सुरक्षित रहने की अपील भी परिस्थिति वस की जाती रहती है।
स्मरण करवा दूँ कि, विगत वर्ष गैस गोदाम के समीप 9 सितम्बर की मध्य रात्रि, रिहायसी इलाके के प्रदीप जुगत्वाँण के घर में कुत्ते के शिकार की चाह में बाघ घुस गया था। जंहा कुत्ते और बाघ के बीच में रात भर खूनी संघर्ष के बाद, बंधा हुआ कुत्ते को जान गवानी पड़ी। जबकि बाघ घायल होकर संघर्ष में कुत्ते की जंजीर में फंस गया था। जिसे बन विभाग की टीम के द्वारा रेस्क्यू कर छोड़ दिया था। बाद में बाघ की भी मौत हो गयी थी।