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श्रीमद्भागवत कथा: जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते हैं–नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज

श्रीमद्भागवत कथा: जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते हैं–नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज
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पौड़ी 9 जून 2023। डांडा नागराजा मंदिर पौड़ी गढ़वाल में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का प्रसंग सुनाया गया। छठे दिन व्यास पीठ पर विराजमान कथावाचक नृसिंह पीठाधीश्वर स्वामी रसिक महाराज ने रास पांच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं। उनमें गाये जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें वृंदावन की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है।

कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मणी विवाह के प्रसंग का संगीतमय भावपूर्ण पाठ किया गया। कथा के दौरान आचार्य ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला के द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन हुआ। जीव और ब्रह्म के मिलने को ही महारास कहते है।

आज उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने भी व्यास गद्दी से आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानंद महाराज, उदासीन अखाड़े के सोहम स्वामी, कल्याण ब्रहमचारी , कमलेश चमोली, सुभाष शर्मा, उपेन्द्र भट्ट, राजेन्द्र बिजल्वाण, मुकेश विष्ट, देवेन्द्र कुकरेती एवं बड़ी संख्या में भक्तजन उपस्थित रहे।


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Garhninad Desk

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