Ad Image

विधिवत संपन्न हुआ उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल के सुपुत्र का उपनयन संस्कार

विधिवत संपन्न हुआ उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल के सुपुत्र का उपनयन संस्कार
Please click to share News

11 आचार्यों ने संपन्न किया यज्ञ, नव ग्रहों एवं देवताओं के लिए दी गई 11,000 आहुतियां

देहरादून 24 जून 2023। कहावत है कि “पहले खुद बनो फिर दूसरे को बनाने का प्रयास करो” इस कहावत को चरितार्थ किया है , शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा के सहायक निदेशक आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने।

बताते चलें कि डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल का मुख्य फोकस शिक्षा में संस्कारों पर रहता है, उनका कहना है कि जीवन की दिशा बदल देने से दशा अपने आप बदल जाती है और उसके लिए विधिवत संस्कारित होना बहुत आवश्यक है, डॉक्टर घिल्डियाल ने उपरोक्त संबंध में केवल प्रवचन अथवा भाषण ही नहीं दिए हैं, बल्कि उन्होंने इसकी शुरुआत अपने घर से करके दिखाई है, जिसमें उन्होंने अपने सुपुत्र समर्थ घिल्डियाल का विधिवत उपनयन संस्कार अपने आवास पर संपन्न किया।

16 संस्कारों में अत्यधिक महत्वपूर्ण उपनयन संस्कार के द्वारा ही मनुष्य एक किस्म से दूसरा जन्म प्राप्त कर लेता है, इस संस्कार के उपरांत ही उसे ब्राह्मण कहलाने का अधिकार है, केवल जाति से नहीं बल्कि संस्कार से ही ब्राह्मण होता है।

उनके आवास धर्मपुर देहरादून में मीडिया की टीम ने कार्यक्रम का अवलोकन किया तो पहले दिन 11 आचार्यों द्वारा नव ग्रहों एवं देवताओं हेतु सर्वतो भद्र मंडल की स्थापना की गई और उसके पूजन के बाद विधिवत 11000 आहुति का यज्ञ संपन्न हुआ। दूसरे दिवस तीन यज्ञ बेदिया बनाई गई, उनमें शुद्ध गाय के घी की आहुतियां देकर यज्ञोपवीत संस्कार हुआ और उसके बाद वेद आरंभ और विधिवत समावर्तन संस्कार संपन्न कराया गया।

इस अवसर पर उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए यज्ञ के प्रमुख आचार्य रुद्रप्रयाग संस्कृत महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डॉ भानु प्रकाश देवली ने कहा कि वास्तव में आचार्य उसको ही कहते हैं ,जो पहले खुद आचरण करता है, और तब दूसरों को सिखाता है जो आज के समाज में देखने को नहीं मिल रहा है। उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉ घिल्डियाल ने अपने बेटे का महत्वपूर्ण संस्कार संपन्न करवा कर संस्कृत जगत के साथ-साथ हमारी सनातन वैदिक संस्कृति का झंडा बुलंद किया है, क्योंकि डॉक्टर घिल्डियाल इस समय संस्कृत शिक्षा के उपनिदेशक भी है, उनके द्वारा किए गए इस प्रकार के कार्य का बहुत बड़ा संदेश पूरे अंतरराष्ट्रीय जगत में जाएगा।

यज्ञ संपन्न कराने वाले विभिन्न विधाओं के 11 विद्वान आचार्यों में आचार्य डॉक्टर जगमोहन जसोला, डॉ जनार्दन प्रसाद नौटियाल, आचार्य सचिंदर नौटियाल, आचार्य आसाराम मैथानी, आचार्य ऋषभ, आचार्य महेश, प्रमुख रूप से रहे । जबकि डॉक्टर घिल्डियाल के 90 वर्षीय पिता शिव प्रसाद घिल्डियाल उनके छोटे भाई भागवताचार्य रसिक महाराज सहित बड़ी संख्या में नाते रिश्तेदार एवं तमाम शिक्षा एवं संस्कृति जगत से जुड़ी हुई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां उपस्थित रही।


Please click to share News

Garhninad Desk

Related News Stories