बच्चों को पाश्चात्य संस्कृति से बचाकर,उन्हें संस्कारित करना जरूरी- आचार्य डॉ दुर्गेश
टिहरी गढ़वाल 13 सितम्बर। शिव पुराण कथा के तीसरे दिन कथा वाचक राष्ट्रीय संत दुर्गेश महाराज ने कहा कि आज के संक्रमण काल में कथा समाज में प्रेम व सद्भावना से समरसता लाने का कार्य करती है। कहा कि शिव पुराण सभी पुराणों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण व सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली पुराणों में से एक है। शिव महापुराण में भगवान शिव के विविध रूपों,अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है। इसमें शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है।
उन्होंने रुद्राक्ष का वर्णन करते हुए कहा कि रुद्राक्ष का जन्म शिव जी से हुआ है। इसे धारण करने से कई फायदे हैं। उन्होंने 1 से 21 मुखी रुद्राक्ष के महत्व का बखान किया। आचार्य व्यास ने कहा कि शिव रसायन ऐसा रसायन है जिसके पान से शिव कृपा की प्राप्ति होती है। भाइयों बहनों जब सुबह शाम सभी परिजन मिलकर शिव लिंग की पूजा अर्चना करते हैं तो शिव कृपा जरूर मिलेगी। कहा कि बेटा बेटियों को पाश्चात्य संस्कृति से बचाने के साथ साथ संस्कारवान बनाने की जरूरत है। कहा मिलकर भोजन करने से परिवार में प्यार प्रेम बढ़ेगा, आज हमारे समाज में आपसी तालमेल भाई चारा समाप्त हो रहा है इसे पुनः स्थापित करने की जरूरत है।
जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने बतौर मुख्यातिथि कथा समिति को भरपूर सहयोग करने का आवाहन करते कहा कि हमें अपनी कमाई में से कुछ न कुछ हिस्सा धर्म कार्यों में लगाना चाहिए।
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण, रघुवीर सजवाण, भरत सिंह भंडारी, सभासद उर्मिला राणा, मोहनलाल मिश्रा, महावीर उनियाल, प्रताप सिंह पुण्डीर, टीकम चौहान, आनन्द प्रकाश घिल्डियाल नियानन्द बहुगुणा,प्रताप पुंडीर, अनिता थपलियाल, रुक्मणि रावत, विनीता नेगी, पुष्पा नेगी , शिव प्रसाद डोभाल राजेन्द्र पुंडीर आदि शामिल रहे। लगातार तीसरे दिन कथा मंच का कुशल संचालन श्री सतीश थपलियाल द्वारा किया गया।