देश-दुनियाविविध न्यूज़

जीवन में कभी संशय या दुविधा हो तो अपने प्रभु इष्ट देव का स्मरण करें — रसिक महाराज

Please click to share News

खबर को सुनें

चंडीगढ़ 17 अप्रैल । यदि यह संसार गहरा सागर है तो श्रीराम कथा इस संसार से पार लगाने वाली नौका है। रामकथा महामोह रुपी महिषासुर के मर्दन के लिए काली स्वरूप है। मोह की निवृति होने पर राम कथा के प्रति अनुराग स्व उत्पन्न हो जाता है।
रामनवमी के उपलक्ष्य में राधा कृष्ण मंदिर पर आयोजित श्री रामकथा महोत्सव के तीसरे दिन संत रसिक महाराज ने कहा कि जीवन में लक्ष्य जरूर निर्धारित करना चाहिए। इसके लिए गुरु का आश्रय लेना चाहिए।  तृतीय दिवस भारद्वाज प्रसंग से कथा प्रारंभ करते हुए शंकर सती कथा प्रसंग में कहा कि सती द्वारा राम की परीक्षा लेने के बाद जब सती शंकर के पास पहुंची। शंकर के मन में सती को स्वीकार करने में दूविधा हो गई कि सती को प्रेम करने में पाप है उन्हें छोड़ते भी नहीं बनता है प्रभु का स्मरण किया। जब भी जीवन में कभी संशय या दुविधा हो तो अपने प्रभु इष्ट देव का स्मरण करें।
पहला विचार मन में आए वैसा करना चाहिए। शंकर पार्वती प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि पार्वती जी ने नारद के कहे अनुसार तप किया।

रसिक महाराज ने कहा की प्रारब्ध को कोई मिटा नहीं सकता उसे कोई मिटा या कम कर सकता है तो वह केवल संत ही है जो भावी अर्थात भविष्य में घटित होने वाली अप्रिय घटनाओं को मेट सकते हैं अर्थात समाप्त कर सकते हैं, क्योंकि सच्चे और निर्मल मन के संतों के पास अर्जित पुण्य होता है।

भारत वर्ष में नेताओं द्वारा मुफ्त में पानी बिजली गेहूं देने की घोषणाओं के बारे में कहा कि जिसने कोई पुण्य अर्जित किया हो यह सरकार आपसे ही लेकर आपको ही देती है मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। कोई सरकार पेट्रोल डीजल मुफ्त में आधे दाम में देने का घोषणा नहीं करती। इसी पेट्रोल डीजल से ही वह आपसे अर्थात जनता से टैक्स के ज्यादा पैसा वसूलते हैं, इसलिए नेताओं द्वारा फ्री में देने की कोई भी घोषणा मूर्ख बनाने के सिवाय कुछ नहीं है।
राधा कृष्ण मंदिर सैक्टर 40 ए के महासचिव विनय कपूर ने बताया कि कथा समापन पर भण्डारा भी आयोजित किया गया.


Please click to share News

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!