राजकीय महाविद्यालय खाड़ी टिहरी गढ़वाल में जल संरक्षण पर संगोष्ठी
टिहरी गढ़वाल । राजकीय महाविद्यालय खाड़ी टिहरी गढ़वाल में जल संरक्षण विषय पर एक संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस संगोष्ठी में डॉ. ईरा सिंह (इतिहास विभाग) द्वारा वर्षा के जल के संरक्षण के महत्व पर व्याख्यान दिया गया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार वर्षा का जल संग्रहण सभी क्षेत्र के लोगों के लिए जरूरी है क्योंकि जल ही जीवन है। बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। छोटे तालाबों, भूमिगत टैंकों, मकान की छत की टंकी द्वारा व बांध आदि के इस्तेमाल से जल संरक्षण किया जा सकता है। भूमिगत पुनर्भरण तकनीक जल संग्रहण का एक नया तरीका है। वर्षा का जल बागवानी और फसलों की सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सकता है साथ ही मछली पालन में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. अरूण कुमार ने वर्षा जल संचयन के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए कहा कि विश्व भर में पेयजल की कमी एक संकट बनती जा रही है, जिसका मुख्य कारण पृथ्वी के जल स्तर का नीचे आना और ग्लेशियरों का पिघलना भी है। जल मानव, जीव-जंतु व पेड़-पौधों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि मानव के लिए। उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग के फायदों के बारे में छात्रों को जानकारी दी और जल संचयन के विषय के महत्व को समझाया।
इस अवसर पर प्रोफेसर निरंजना शर्मा, डॉ. मीना, डॉ. आरती अरोड़ा, डॉ. अनुराधा राणा, हितेश आशीष व अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे।