जलवायु परिवर्तन पर जताई गंभीर चिंता: किशोर की पहल पर ‘ग्लोबल हिमालयन ऑर्गनाइजेशन’ की शुरुआत

जलवायु परिवर्तन पर जताई गंभीर चिंता: किशोर की पहल पर ‘ग्लोबल हिमालयन ऑर्गनाइजेशन’ की शुरुआत
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नई दिल्ली/नई टिहरी, 27 जून। बीते मंगलवार 25 जून 2024 को टिहरी विधानसभा क्षेत्र के विधायक किशोर उपाध्याय ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में “हिमालय बचाओ, गंगा बचाओ” विषय पर एक प्रेस वार्ता सह संगोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में पत्रकारों, लेखकों, पर्यावरणविदों और बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया और बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता जताई।

गोमुख ग्लेशियर और गंगा नदी की चिंता

विधायक उपाध्याय ने अपनी प्रेस वार्ता में विशेष रूप से गोमुख ग्लेशियर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की, जहाँ से पवित्र गंगा नदी निकलती है। उन्होंने कहा कि हिमालय में बर्फबारी में कमी और ग्लेशियरों के पिघलने का सीधा असर दिल्ली जैसे महानगरों पर पड़ रहा है, जो पहले से ही जल संकट का सामना कर रहे हैं। उपाध्याय ने बताया कि ग्लेशियरों के पिघलने से गंगा के प्रवाह में कमी आ सकती है, जो न केवल भारत, बल्कि एशिया और विश्व स्तर पर संपूर्ण मानवता के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।

ग्लोबल हिमालयन ऑर्गनाइजेशन की स्थापना

उपाध्याय ने हिमालय की सुरक्षा और संरक्षण के लिए ‘ग्लोबल हिमालयन ऑर्गनाइजेशन’ की स्थापना की घोषणा की। इस संगठन का उद्देश्य हिमालयी क्षेत्र की सुरक्षा और संरक्षण के लिए काम करना है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों की एक संयुक्त बैठक बुलाने की आवश्यकता है।

इसरो की रिपोर्ट का हवाला

नीति आयोग के पूर्व सलाहकार अविनाश मिश्रा ने इसरो की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि 1984 के बाद से हिमालय में पहचानी गई हिमनद झीलों में से 27 प्रतिशत का दायरा काफी बढ़ गया है। इसरो की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, 2016 के दौरान 10 हेक्टेयर से बड़ी 2,431 झीलों की पहचान की गई थी, जिनमें से 676 झीलों का उल्लेखनीय रूप से विस्तार हुआ है। मिश्रा ने कहा कि ग्लेशियरों के पिघलने के कारण हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है और इससे वन पारिस्थितिकी अनिश्चितता और अस्थिरता का कारण बन सकती है।

सरकारी प्रयास

मिश्रा ने नमामे गंगा परियोजना के तहत हो रहे प्रयासों पर भी प्रकाश डाला, जिसमें 30863 करोड़ रुपये की लागत वाली 364 परियोजनाएं शामिल हैं, जिनमें कई जल उपचार संयंत्र भी शामिल हैं। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि विस्थापन से संबंधित समस्याओं को कम करने और संबोधित करने के लिए सरकारी स्तर पर लगातार प्रयास करने की आवश्यकता है।

समाज का आह्वान

विधायक उपाध्याय ने समाज के सभी वर्गों से इस समस्या की गंभीरता को समझने और पर्यावरण संरक्षण के लिए आगे आने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हिमालय की सुरक्षा और संरक्षण में ही हमारे भविष्य की सुरक्षा निहित है और समय रहते ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। हिमालय में हो रहे जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप उत्पन्न चुनौतियों पर ध्यान देना और आवश्यक कदम उठाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।


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Garhninad Desk

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