ऋषिकेश में भारतीय ज्ञान परंपरा पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
ऋषिकेश 12 जून 2024। श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय द्वारा ”एक विश्वविद्यालय एक विषय“ के अन्तर्गत ऋषिकेश परिसर में स्थापित भारतीय ज्ञान परम्परा केन्द्र द्वारा 02 दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन सत्र परिसर के कांन्फ्रेस हाल मे सांय 4 बजे आयोजित किया गया।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि उत्तराखन्ड आयुर्वेदिक वि० वि० के कुलपति प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी थे एवं सत्र की अध्यक्षता श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड वि०वि० के माननीय कुलपति प्रो० एन० के० जोशी जी ने की। परिसर के निदेशक प्रो० महावीर सिंह रावत ने सभी प्रतिभागियों एवं मुख्य अतिथि एवं मा० कुलपति प्रो० एन० के जोशी जी का स्वागत किया।
अध्यक्षीय भाषण में प्रो० जोशी ने संगोष्ठी के आयोजन पर प्रशन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि संगोष्ठी में प्रस्तुत सभी शोध पत्रों को संकलित किया जाय तथा आयोजन समिति को सोवीनियर प्रकाशित करने के लिए अपनी अनुमति प्रदान की।उन्होंने एक राज्य एक शोध के बारे में विस्तृत चर्चा की।
मुख्य अतिथि प्रो० अरुण कुमार त्रिपाठी जी ने परम्परागत ज्ञान को मानव कल्याण के लिए उपयोगी बताया। संगोस्ठी की संयोजक प्रो० अनिता तोमर ने बताया कि संगोष्ठी में 228 प्रतिभागी समिलित हुए तथा 228 शोध पत्रों का 11 सत्रों में प्रस्तुतीकरण हुआ।भारतीय ज्ञान पंरम्परा केन्द्र की निदेशक प्रो० कल्पना पंत ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होने समूर्ण आयोजन समिति की तरफ से माननीय कुलपति एवं कैम्पस निदेशक सहित सभी प्राध्यापकों तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। सत्र का संचालन प्रो० पूनम पाठक द्वारा किया गया।
इस अवसर पर विज्ञान संकाय अध्यक्ष प्रो0 गुलशन कुमार ढींगरा, कला संकाल अध्यक्ष प्रो0 डी0सी0 गोस्वामी, वाणिज्य संकाय अध्यक्ष प्रो0 कंचन लता सिन्हा प्रो0 संगीता मिश्रा, प्रो0 मनोज यादव, प्रो0 एस0पी0 सती डाॅ0 शिखा ममगांई, , प्रो0 अटल बिहारी त्रिपाठी,प्रो० अधीर कुमार,डा० गौरव वास्णेय,प्रो० स्मिता बडोला,डा० पुष्कर गौड,,डा० अशोक कुमार,डा० वी०पी० बहुगुणा,प्रो० नवीन शर्मा प्रो० सुरमान आर्य,प्रो० आशीष शर्मा,प्रो० परवेज अहमद,प्रो०नीता जोशी,प्रो० डी० एम० त्रिपाठी,प्रो० वी०डी० पाण्डे,प्रो० दुबे,डा० शालिनी रावत,डा० प्रीति खण्डूरी,डा० एस०के० कुडियाल,डा० राकेश जोशी ,एवं डा० श्रीकृष्ण नौटियाल उपस्थित थे।