श्रीमद देवीभागवत महापुराण कथा का महापूजा, हवन और भंडारे के साथ समापन

श्रीमद देवीभागवत महापुराण कथा का महापूजा, हवन और भंडारे के साथ समापन
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टिहरी गढ़वाल 26 जून। टिहरी के सेक्टर 5 बी में आयोजित श्रीमद देवीभागवत महापुराण के समापन पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने कथा श्रवण कर पुण्य प्राप्त किया। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित कुशलानन्द सती (बद्रीनाथ वाले) के श्रीमुख से श्रद्धालुओं ने लगातार 9 दिन तक देवी के विभिन्न स्वरूपों व कथाओं का श्रवण किया। आज समापन पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।

पंडित कुशलानन्द सती जी

कथा के प्रथम दिन कथा वाचक पंडित कुशलानन्द सती ने श्रीमद देवीभागवत महापुराण के महत्व और इसकी महिमा का वर्णन किया। बताया कि कैसे ब्रह्मा जी ने देवी की आराधना की और उनकी कृपा से सृष्टि की रचना की। देवी को आद्याशक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जिनसे संपूर्ण ब्रह्मांड की उत्पत्ति होती है। देवी की स्तुति और भजन के साथ कथा का आरंभ हुआ। अगले दिन देवी के विभिन्न अवतारों की कथाओं का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने सती और पार्वती की कथा सुनाई और बताया कि कैसे देवी ने महादेव से विवाह किया और समस्त सृष्टि की संरचना में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। तीसरे दिन देवी दुर्गा के महिषासुर मर्दिनी अवतार की कथा सुनाई गई। पंडित जी ने बताया कि कैसे देवी दुर्गा ने महिषासुर के अत्याचारों से देवताओं और मानवों को मुक्त कराया और धर्म की स्थापना की। इस दिन श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से देवी दुर्गा के शक्ति स्वरूप का दर्शन किया। कथा के चौथे दिन कथा वाचक पंडित कुशलानन्द सती ने देवी लक्ष्मी की कथा का वर्णन किया गया। पंडित जी ने देवी लक्ष्मी के समुद्र मंथन से उत्पन्न होने और उनके धन, समृद्धि और सुख-शांति के वरदानों के बारे में बताया। देवी लक्ष्मी के भजन और स्तुतियों के माध्यम से श्रद्धालुओं ने धन और समृद्धि की देवी का आशीर्वाद प्राप्त किया। पांचवे दिन देवी सरस्वती की कथा सुनाई गई। पंडित कुशलानन्द सती ने बताया कि कैसे देवी सरस्वती ने विद्या, ज्ञान और संगीत की देवी बनकर सृष्टि को विवेक और बुद्धि का मार्ग दिखाया।

छठे दिन कथा में देवी काली के उग्र और रौद्र रूप का वर्णन किया गया। पंडित जी ने बताया कि कैसे देवी काली ने राक्षसों का संहार कर धर्म की रक्षा की। उनके उग्र रूप ने श्रद्धालुओं को असीम शक्ति और साहस का संदेश दिया। सातवें दिन देवी भागवत के विभिन्न चरित्रों और उनकी लीला का वर्णन किया गया। पंडित जी ने नारी शक्ति और भक्ति के महत्व को बताया और यह समझाया कि कैसे देवी की आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। आठवें दिन देवी के भक्ति मार्ग और साधना का वर्णन किया गया। जिसमें पंडित कुशलानन्द सती ने विभिन्न भक्तों की कथाएं सुनाईं जिन्होंने देवी की उपासना से महान सिद्धियाँ प्राप्त कीं।

अंतिम दिन महापूजा और हवन तथा भंडारे का आयोजन किया गया। पंडित जी ने देवी की महिमा का अंतिम उपदेश दिया और सभी श्रद्धालुओं को देवी की कृपा से जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त करने का आशीर्वाद दिया। भव्य आरती और प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन हुआ। पंडित कुशलानन्द सती ने आयोजन समिति और सभी सहयोगियों तथा गढ़ निनाद का धन्यवाद किया और सभी को देवी की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की।

इस मौके पर उदय रावत, मानवेन्द्र सिंह रावत, विजय कठैत, उमेश चरण गुसाईं, महिमानन्द नौटियाल, वीसी नौटियाल, वीर सिंह पंवार, विमल पांडे समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।


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Govind Pundir

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