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ठक्कर बापा छात्रावास के सफलतम 75 वर्ष पूरे: भव्य आयोजन में टिहरी विधायक ने किया सम्मान

ठक्कर बापा छात्रावास के सफलतम 75 वर्ष पूरे: भव्य आयोजन में टिहरी विधायक ने किया सम्मान
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टिहरी गढ़वाल, 18 जून, 2024। ठक्कर बापा छात्रावास के सफलतम 75 वर्ष पूरे होने के मौके पर एक भव्य आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्रावास के मंत्री और स्व. सुंदरलाल बहुगुणा के सुपुत्र, प्रदीप बहुगुणा ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ठक्कर बापा छात्रावास के पुराने इतिहास पर विस्तार से चर्चा की।

स्व. सुंदरलाल बहुगुणा की समाजसेवा का योगदान

टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने इस अवसर पर स्व. बहुगुणा के समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान को याद करते हुए कहा कि वह टिहरी के अग्रणी समाजसेवी थे। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण की अपनी सोच से दुनिया को महत्वपूर्ण सबक सिखाए, लेकिन हम उनका वैश्विक उपयोग करने में असमर्थ रहे। विधायक ने कहा कि आज भी हमें उनकी सोच को आज की प्रासंगिकता में उपयोग करने की आवश्यकता है। इस मौके पर पत्रकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

छात्रावास की स्थापना और उसका उद्देश्य

विधायक ने कहा कि ठक्कर बापा छात्रावास की स्थापना भी स्व. बहुगुणा की समाजसेवा की चरम जिज्ञासा को दर्शाती है। 1949 के दौर में जब जातीय भेदभाव चरम पर था, उस समय एससी छात्रों को इस समस्या का सामना करना पड़ रहा था। उनकी परेशानियों को देखते हुए स्व. बहुगुणा ने इस छात्रावास की स्थापना 1949 में पुरानी टिहरी में की। इस छात्रावास में सभी जातियों के छात्रों को साथ रहकर, साथ खाने और पढ़ने की प्रेरणा दी गई।

नई टिहरी में छात्रावास की सफलता

नई टिहरी में विस्थापन के बाद भी यह छात्रावास 75 वर्षों से सफलता पूर्वक चल रहा है। आज भी लगभग 38 छात्र इस छात्रावास में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। दलितों के लिए काम करने वाले ठक्कर बापा के नाम पर ही इस छात्रावास का नाम रखा गया है।

प्रदीप बहुगुणा ने कहा..

प्रदीप बहुगुणा ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह छात्रावास न केवल शिक्षा का केंद्र है, बल्कि समानता और सामाजिक न्याय की भी एक मिसाल है। उन्होंने छात्रावास के पुराने छात्रों और वर्तमान छात्रों को इसके मूल्यों को बनाए रखने की प्रेरणा दी।

इस भव्य आयोजन में समाज के विभिन्न क्षेत्रों से गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया और छात्रावास के गौरवशाली इतिहास को सलाम किया। ठक्कर बापा छात्रावास का यह सफर एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो यह दर्शाता है कि समाजसेवा और शिक्षा के माध्यम से कैसे बदलाव लाया जा सकता है।


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Govind Pundir

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