“दानू सरील” गढ़वाली गीत का भव्य विमोचन: संस्कृति और संगीत का उत्सव
टिहरी गढ़वाल, 20 जुलाई 2024: टिहरी किताब कौथिग के दौरान, बोराडी स्थित पालिका सिनेमा हॉल में एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया, जहां K9 स्टूडियो द्वारा प्रस्तुत गढ़वाली गीत “दानू सरील” का विमोचन किया गया। इस भव्य कार्यक्रम में उत्तराखंड की प्रसिद्ध लोक गायिका पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल और जागर सम्राट बसंती बिष्ट ने गीत का लोकार्पण किया।
समारोह की सबसे खास बात यह थी कि गढ़वाली गीत “दानू सरील” के प्रमुख कलाकार चंडी प्रसाद डबराल, गौरव मैठाणी और पूरी टीम को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।
इस गीत में चंडी प्रसाद डबराल ने एक वृद्ध पिता की भूमिका बखूबी निभाई है, जो अपनी जन्मभूमि और गढ़वाली संस्कृति से गहरा प्रेम करते हैं। उनके बेटे का फोन आता है, जिसमें वह अपने पिता को शहर बुलाने की कोशिश करता है, यह कहते हुए कि उनकी उम्र के कारण अब उन्हें लाठी के सहारे चलने में भी कठिनाई होती है। लेकिन वृद्ध पिता अपने गाँव और संस्कृति को छोड़कर शहर जाने के लिए तैयार नहीं होते।
गीत के गायक राजेंद्र ढौंडियाल की सुमधुर आवाज ने इसे और भी आकर्षक बना दिया है। विजयपाल कलूड़ा ने इस गीत को मधुर धुनों से सजाया है, जिससे इसकी सुंदरता और भी बढ़ गई है। विवेक सेमल्टी के निर्देशन में इस गीत को उत्कृष्ट विजुअल प्रस्तुति दी गई है, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देती है।
विमोचन समारोह में गढ़वाली संस्कृति और संगीत के महत्व पर गहन चर्चा की गई। पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल और बसंती बिष्ट ने इस अवसर पर गढ़वाली संस्कृति को संरक्षित और प्रोत्साहित करने के प्रयासों की सराहना की। उनके द्वारा दी गई मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
समारोह में कमल सिंह महर, जगजीत सिंह नेगी, गोविंद पुंडीर, महिपाल नेगी, आनन्दमणी पैन्यूली, देवेन्द्र नौडियाल, सतीश थपलियाल सहित कई महत्वपूर्ण व्यक्तित्व उपस्थित थे, जिन्होंने “दानू सरील” की प्रशंसा की और गढ़वाली संस्कृति के प्रसार के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। समारोह के दौरान गीत की स्क्रीनिंग भी की गई, जिससे उपस्थित लोगों ने इसका भरपूर आनंद लिया और इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इस तरह के कार्यक्रम न केवल गढ़वाली संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी मदद करते हैं। “दानू सरील” न केवल एक गीत है, बल्कि एक प्रेरणादायक कहानी है जो हमें अपने मूल्यों और संस्कृतियों के प्रति प्रेम और सम्मान बनाए रखने की प्रेरणा देती है। कार्यक्रम का कुशल संचालन आनन्दमणी पैन्यूली ने किया।