सुमन दिवस पर विशेष
अमर शहीद श्री देव सुमन दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो हमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम के वीर सपूत श्री देव सुमन की शहादत को स्मरण करने का अवसर देता है। यह दिन न केवल उनकी वीरता और बलिदान को याद करने का है, बल्कि हमें उनके आदर्शों और सिद्धांतों से प्रेरणा लेने का भी अवसर प्रदान करता है।
श्री देव सुमन का जीवन परिचय
श्री देव सुमन का जन्म 25 मई 1916 को टिहरी गढ़वाल के जौल गांव में हुआ था। उनका मूल नाम सुमन चंद्र था, लेकिन बाद में वे देव सुमन के नाम से प्रसिद्ध हुए। उनकी प्रारंभिक शिक्षा टिहरी में हुई और उच्च शिक्षा के लिए वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय गए।
श्री देव सुमन एक सच्चे देशभक्त और समाज सुधारक थे। वे महात्मा गांधी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे और अहिंसा, सत्य, और न्याय के सिद्धांतों का पालन करते थे। उनका प्रमुख उद्देश्य टिहरी रियासत में रियासत शासन के अत्याचारों और अनियमितताओं के खिलाफ आवाज उठाना था।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
श्री देव सुमन ने टिहरी रियासत में प्रजामंडल आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने टिहरी नरेश के अत्याचारी शासन के खिलाफ विद्रोह किया और प्रजामंडल की स्थापना की, जो कि जनहित के मुद्दों को उठाने और न्याय की मांग करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना।
1942 में, उन्होंने टिहरी नरेश के खिलाफ सत्याग्रह किया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। जेल में भी, उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा और कैदियों के साथ अमानवीय व्यवहार का विरोध किया। उनके इस संघर्ष और बलिदान ने पूरे क्षेत्र में स्वतंत्रता और न्याय के लिए जागरूकता फैलाई।
बलिदान और विरासत
25 जुलाई 1944 को, श्री देव सुमन ने जेल में अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए। उनका यह बलिदान स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनकी शहादत ने टिहरी रियासत के लोगों में एक नई चेतना और जागरूकता लाई, और अंततः टिहरी राज्य में जनतांत्रिक सुधारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुई।
स्मरण और प्रेरणा
श्री देव सुमन दिवस पर, हमें उनके बलिदान और साहस को याद करना चाहिए और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए। यह दिन हमें यह सिखाता है कि स्वतंत्रता और न्याय के लिए संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता और एक व्यक्ति का साहस और दृढ़ निश्चय संपूर्ण समाज को बदल सकता है।
श्री देव सुमन के आदर्श और मूल्य आज भी हमारे लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। उनकी निस्वार्थ सेवा, साहस और बलिदान की भावना हमें अपने कर्तव्यों को निष्ठा से निभाने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती है। उनके स्मरण में, हमें समाज के कमजोर और वंचित वर्गों की सहायता करने का संकल्प लेना चाहिए और उनके अधिकारों के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
अमर शहीद श्री देव सुमन को हमारी हार्दिक श्रद्धांजलि। उनका बलिदान और साहस हमें सदैव प्रेरित करता रहेगा।
“शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले, वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।“