आत्मा और परमात्मा के बीच का संवाद है-शिव पुराण : व्यास पीठ से डॉ0 घिल्डियाल
*रिपोर्ट – सोमवारी लाल सकलानी ‘निशांत’
टिहरी गढ़वाल 1 अगस्त 2024। विद्वानों की छोटी काशी के नाम से चर्चित ग्राम सावली में गतिमान शिव महापुराण ज्ञान कथा के अंतिम11वें दिवस आज व्यास पीठ से आचार्य डॉ0 कैलाश घिल्ड़ियाल ने कथा का सार समझाते हुए जीवन के अनेकों पहलुओं पर प्रकाश डाला। धर्म और लौकिक जीवन से संबंधित ज्ञान साझा किया। हजारों की तादाद में शिव भक्तों के बीच महा मृत्युंजय शिवालय परिसर में श्रोताओं को धर्म सम्मत्त जानकारियां दी। कहा कि शिव पुराण ज्ञान पुराण है और यह आत्मा-परमात्मा के मध्य संवाद है।
समापन अवसर पर अपनी अमृतवाणी के द्वारा महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डाला। तथा स्वास्थ्य, सुख और सम्पन्नता के लिए धार्मिक मान्यतायें प्रस्तुत की। बताया कि पानी पूजा गृह में पूर्व दिशा की ओर मुंह करके घूंट- घूंट पीना चाहिए। पीने का पानी हमेशा दांंयी तरफ और पूजा का पानी बांयी ओर रखना चाहिए। दूध खड़े होकर गटक-गटक कर बैठ करके पीयें। भूलकर भी कभी शिवलिंग की स्थापना घर के अंदर ना करें, उसका स्थान मंदिर है। पूजा की घंटी बांई तरफ और पूजा का शंख दांयी ओर रखें। बासी दीपक की बातियों बुझी हुई तीलियों,सूखे फूल पूजा गृह में ना रखें, उन्हें विसर्जित कर लें। ईश्वर की फोटो का कभी तिलक ना करें।तिलक केवल मूर्तियों का होता है। फोटो का तिलक करने से नुकसान होता है। जिससे आशीर्वाद लेना हो तिलक दाएं हाथ की अनामिका से करें और जिन्हें आशीर्वाद देना है उन्हें अंगूठे से तिलक करें। स्वयं का तिलक अनामिका और अंगूठे दोनों से करें। पूजा करते समय सदा आसन पर बैठे और दो बूंद पानी आसन के नीचे छिड़क कर फिर उस पानी का तिलक करें। सुहागिन महिलाएं ताम्रपत्र से धार देकर ईश्वर को जल न चढ़ावें,पुरुष ऐसा कर सकते हैं। महिलाएं कर ढककर पूजा गृह और मंदिर में प्रविष्ट हों।
जीवन में सुखों के लिए कम करना पड़ता है लेकिन ज्ञानपूर्ण मोक्ष के लिए होता है मोक्ष और मुक्ति में अंतर होता है मोक्ष का मतलब मृत्यु नहीं। आने को रोचक व्यवहारिक सरकार की बातें आज व्यास पीठ से स्रोतों को सुनने के लिए मिली।
शिव पुराण के अंतिम दिन विशाल भंडारे का भी आयोजन मंदिर समिति की ओर से किया गया। इस मौके पर पूर्व कैबिनेट मंत्री दिनेश धनै,राड्स संस्था के अध्यक्ष सुशील बहुगुणा,एडवोकेट संजय बहुगुणा,साहित्यकार सोमवारी लाल सकलानी’निशांत’ अमरदेेव बहुगुणा, शिवशरण बहुगुणा, आराधना धूप के संस्थापक संजय बहुगुणा, प्रधान सुधीर बहुगुणा, राकेश बहुगुणा,रोशन लाल उनियाल, राजेंद्र नकोटी, गुरूप्रसाद बहुगुणा, डेमेश्वर प्रसाद, अनंत राम,सोहन शास्त्री, अनूप तडियाल,जिला पंचायत सदस्य विमला खंणका,संजय मैठाणी,किशोरी लाल, उत्तम दास,शिव प्रसाद रतूड़ी,दिनेश बहुगुणा आदि उपस्थित रहे। सात सौ से अधिक लोगों ने शिव महापुराण हेतु आर्थिक सहयोग भी दिया। ग्यारह दिन तक कथा श्रोताओ,आयोजकों और सहयोगियों का आभार प्रकट किया गया।