उक्रांद वरिष्ठ नेता और संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार पंचतत्व में विलीन
ऋषिकेश/घनसाली से लोकेंद्र जोशी की रिपोर्ट। उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता और संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार के एक हादसे में निधन से पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई। आज सुबह उनके सड़क दुर्घटना में निधन की खबर जैसे ही मोबाइल और समाचार माध्यमों से लोगों तक पहुंची, यह खबर पूरे पहाड़ में आग की तरह फैल गई। 69 वर्ष के पंवार अपने पीछे पत्नी, एक बेटा, दो बेटियां छोड़ गए। वह पांच भाइयों में तीसरे नम्बर के थे।
पंवार का निधन न केवल उनकी पार्टी के लिए, बल्कि उत्तराखंड के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है। पूर्णानंद घाट पर उनके बड़े पुत्र आलोक पंवार और छोटे भाई सम्राट पंवार ने परिवारिक सदस्यों की उपस्थिति में उन्हें मुखाग्नि दी।
त्रिवेंद्र पंवार के पार्थिव शरीर को एम्स ऋषिकेश से उनके निवास पर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां उक्रांद के कार्यकर्ता, नेता और अन्य राजनीतिक दलों के सदस्य बड़ी संख्या में पहुंचे। पार्टी के झंडे में लिपटे उनके पार्थिव शरीर को नेताओं और समर्थकों ने श्रद्धांजलि दी। उनके निवास स्थान, होटल डायमंड नटराज चौक, ऋषिकेश में सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटी रही। उनके निधन की खबर से पार्टी के कार्यकर्ता और उनके प्रशंसक गहरे शोक में हैं। बड़ी संख्या में लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे, जो दोपहर 1:30 बजे उनके निवास स्थान से शुरू होकर पूर्णानंद घाट पहुंची। इस यात्रा में उक्रांद के कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अन्य दलों के नेता और स्थानीय लोग भी शामिल हुए।
अंतिम संस्कार के दौरान उक्रांद के केंद्रीय अध्यक्ष पूर्ण सिंह कठैत, संरक्षक दिवाकर भट्ट, पूर्व मंत्री शूरवीर सिंह सजवान, भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान, प्रेम चंद्र अग्रवाल, सभासद राकेश मियां, पत्रकार रमेश कुड़ियाल और कृपाल सिंह सरोज, शक्ति शैल कपारवान, आनंद जुयाल, लताफत हुसैन, विक्रम बिष्ट, लोकेंद्र जोशी, श्रीमती रेखा मियां, जसपाल मियां, वीरचंद रमोला, उत्तम पुंडीर, उत्तम सिंह कठैत, मीनाक्षी घिल्डियाल, किरण रावत, प्रमिला रावत, ऊषा चौहान, शिव प्रसाद सेमवाल, जब्बर सिंह पॉवेल, जय प्रकाश उपाध्याय, और बहादुर सिंह रावत सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
उक्रांद नेताओं ने त्रिवेंद्र पंवार के निधन को पार्टी और राज्य के लिए बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि उन्होंने अपने पूरे जीवन को उत्तराखंड के विकास और राज्य आंदोलन के लिए समर्पित किया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। पार्टी ने उनकी स्मृति में एक विशेष शोकसभा आयोजित करने की घोषणा की है, जिसमें उनके जीवन और कार्यों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी जाएगी।
त्रिवेंद्र पंवार उत्तराखंड के एक प्रमुख राजनेता और समाजसेवी थे। उन्होंने उक्रांद को मजबूत बनाने और उत्तराखंड के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके निधन से राज्य ने एक दूरदर्शी नेता और प्रेरक व्यक्तित्व को खो दिया है।
उधर लंबगांव में स्थानीय लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर प्रतापनगर विधायक विक्रम सिंह नेगी, लंबगांव व्यापार मंडल अध्यक्ष युद्धवीर सिंह राणा, थानाध्यक्ष शांति प्रसाद चमोली, पूर्व जिपं सदस्य देवी सिंह पंवार, मुरारी लाल खंडवाल आदि मौजूद रहे।
उत्तराखंड क्रांति दल के वरिष्ठ नेता और संरक्षक त्रिवेंद्र पंवार के निधन से राज्य आंदोलन से जुड़े हर व्यक्ति की आंखें नम हैं। राज्य निर्माण आंदोलन में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे उत्तराखंड आंदोलन के स्तंभ और पहाड़ के गांधी कहे जाने वाले दिवंगत इंद्रमणि बडोनी के दाहिने हाथ थे, जिन्हें बडोनी अपना हनुमान मानते थे।
त्रिवेंद्र पंवार ने न केवल उत्तराखंड के मुद्दों को सड़क से संसद तक पहुंचाया, बल्कि उनका विरोध और संघर्ष कई बार ऐतिहासिक रहा। संसद में पेपर बम फेंककर उन्होंने राज्य के अधिकारों के लिए जोरदार तरीके से आवाज उठाई, जिससे उत्तराखंड की मांग को राष्ट्रीय पटल पर मजबूती मिली।
उनके निधन से राज्य समर्थकों और आंदोलनकारी ताकतों को अपूरणीय क्षति हुई है। उक्रांद नेताओं ने इसे राज्य के लिए एक बड़ी क्षति बताते हुए कहा कि त्रिवेंद्र पंवार का जीवन संघर्ष और सेवा का प्रतीक था। उनके योगदान को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी।