संस्कृत विद्यालयों को मान्यता देने संबंधी बैठक में अचानक पहुंचे निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज
देहरादून। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत संस्कृत के प्राथमिक विद्यालयों को मान्यता देने के उद्देश्य से गठित समिति की पहली बैठक सहायक निदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल के कार्यालय में आयोजित की गई। इस बैठक में अचानक निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज भी पहुंच गए ।
बैठक में जिलाधिकारी देहरादून के प्रतिनिधि जिला शिक्षा अधिकारी (प्राथमिक) प्रेम कुमार भारती, मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा नामित खंड शिक्षा अधिकारी (विकासनगर) अवनींद्र बड़थ्वाल और उपनिदेशक संस्कृत शिक्षा पद्माकर मिश्रा शामिल हुए। बैठक के दौरान संस्कृत विद्यालयों को प्राथमिक स्तर पर मान्यता देने की प्रक्रिया और इसके महत्व पर चर्चा की गई।
निदेशक डॉ. आनंद भारद्वाज के आगमन पर सहायक निदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने पुष्पगुच्छ और अंग वस्त्र भेंटकर उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि डॉ. भारद्वाज के नेतृत्व और मार्गदर्शन से संस्कृत विद्यालयों के मान्यता प्रक्रिया को गति मिली है।
डॉ. भारद्वाज ने समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए उत्तराखंड सरकार की द्वितीय राजभाषा संस्कृत के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “संस्कृत भाषा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, और इसे प्राथमिक स्तर से बढ़ावा देना हमारा लक्ष्य है। देहरादून से शुरू होकर यह पहल राज्यभर में संस्कृत शिक्षा को सशक्त करेगी।” उन्होंने सहायक निदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल की सराहना करते हुए कहा कि उनकी प्रशासनिक क्षमता और मेहनत से यह पहल साकार हो रही है।
यह बैठक संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जिससे राज्य में संस्कृत विद्यालयों को नई पहचान और समर्थन मिलेगा। बैठक का समापन संस्कृत शिक्षा के उत्थान के लिए सामूहिक प्रतिबद्धता और सहयोग के संकल्प के साथ हुआ।