प्रदेश के ज्वलंत मुद्दों पर मंथन को लेकर भू-भूम्याल जागृति मंच की गंभीर पहल
टिहरी गढ़वाल। नव गठित भू-भूम्याल जागृति मंच ने टिहरी के एक होटल में आयोजित पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड के ज्वलंत मुद्दों पर गंभीर चिंता जताते हुए समाधान की दिशा में ठोस पहल करने का आह्वान किया। मंच ने प्रदेश में बाहरी लोगों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि खरीद पर रोक लगाने और मूल निवास नीति को सख्ती से लागू करने की मांग की।
पत्रकार वार्ता के दौरान मंच के संयोजक देवेंद्र नौडियाल सह-संयोजक अमित पंत ने कहा कि राज्य की प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक पहचान को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल-जंगल-जमीन की लूट और बढ़ते पलायन ने पहाड़ों को खाली कर दिया है, जिससे राज्य की पारिस्थितिकी और सामाजिक ताने-बाने को गहरा नुकसान हो रहा है।
मंच के संयोजक देवेंद्र नौडियाल ने बताया कि राज्य की स्थायी राजधानी, भू-कानून, मूल निवास, रोजगार, और जंगली जानवरों के हमलों से सुरक्षा जैसे मुद्दे दशकों से उपेक्षित रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन समस्याओं पर गहन चिंतन और समाधान के लिए 29 दिसंबर 2024 को नई टिहरी के बौराड़ी में एक प्रदेश स्तरीय चिंतन गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।
मंच के संरक्षक व साहित्यकार महीपाल नेगी ने बताया किआगामी 29 दिसंबर 2024 को बौराड़ी में आयोजित होने वाली प्रदेश स्तरीय चिंतन गोष्ठी में उत्तराखंड के विकास से जुड़े 11 प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी। इनमें विधानसभा क्षेत्रों के पुनः परिसीमन का पर्वतीय क्षेत्रों पर प्रभाव, केदारनाथ आपदा के बाद पारिस्थितिकी संतुलन की बहाली, और टिहरी बांध में राज्य की हिस्सेदारी जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। साथ ही, जिला विकास प्राधिकरण को समाप्त कर स्थानीय निकायों और पंचायतों को अधिक अधिकार देने की बात पर भी जोर दिया जाएगा।
मंच ने विशेष रूप से 5वीं अनुसूची और अनुच्छेद 371 को राज्य में लागू करने की संभावना पर विचार करने की आवश्यकता बताई, जिससे स्थानीय निवासियों के अधिकार सुरक्षित हो सकें। मंच ने कहा कि यह गोष्ठी राज्य के सामाजिक कार्यकर्ताओं, विशेषज्ञों, और आम जनता को एक साथ लाकर इन समस्याओं का स्थायी समाधान खोजने का प्रयास करेगी।
मंच ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस गोष्ठी में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें और राज्य को नई दिशा देने के इस प्रयास में सहयोग करें। आयोजकों ने स्पष्ट किया कि यह आयोजन सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा, जिसमें राज्य के विभिन्न प्रबुद्ध वर्गों और संगठनों की उपस्थिति रहेगी।
कार्यक्रम के संयोजक देवेंद्र नौडियाल और सह-संयोजक अमित पंत ने कहा कि यह समय है जब हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए राज्य के भविष्य के लिए एकजुट होना होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि यदि इन मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
पत्रकार वार्ता में साब सिंह सजवान, उत्तम तोमर, गंगा भगत सिंह नेगी, लखबीर चौहान, राहुल बुटोला आदि मौजूद रहे।