15 जनवरी: टिहरी के लिए गर्व और आत्ममंथन का दिन
टिहरी गढ़वाल। 15 जनवरी, 1948 को टिहरी में नई शासन व्यवस्था का उदय हुआ, जो श्रीदेव सुमन जी के सपनों और सकलानी जी व भरदारी जी के बलिदानों का परिणाम था। इस दिन को टिहरी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।
विधायक किशोर उपाध्याय ने इस अवसर पर कहा कि टिहरी के लोगों को यह सोचना होगा कि उस पीढ़ी के सपने कितने साकार हुए हैं। उन्होंने कहा, “राज्य के विभाजन से टिहरी का स्वरूप बदल गया है। उत्तरकाशी और जखोली जैसे क्षेत्र अलग हो गए हैं। यह विचार करना आवश्यक है कि वर्तमान में टिहरी की राजनैतिक और आर्थिक हिस्सेदारी क्या है।”
उन्होंने कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए हमें कई सवालों के जवाब खोजने होंगे और टिहरी के समग्र विकास के लिए नई पीढ़ी को प्रेरित करना होगा।