टिहरी डायट में पांच दिवसीय पिरूल कार्यशाला का आयोजन
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टिहरी गढ़वाल। टिहरी डायट में 10 से 14 फरवरी 2025 तक आयोजित पांच दिवसीय पिरूल कार्यशाला का शुभारंभ प्राचार्य श्रीमती हेमलता भट्ट द्वारा किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य पहाड़ की परंपराओं और उत्पादों को नवीनता प्रदान करना, स्वरोजगार को बढ़ावा देना और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देना है।
प्राचार्य ने कहा कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में पिरूल से बने उत्पाद स्वरोजगार के नए अवसर पैदा कर सकते हैं। इसके अलावा, पिरूल से जुड़े उत्पादों को बढ़ावा देने से वनाग्नि की घटनाओं को कम करने में भी मदद मिलेगी। यह कार्यशाला राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लक्ष्यों को पूरा करने और छात्रों की हस्तशिल्प सामग्रियों में रुचि बढ़ाने के उद्देश्य से आयोजित की गई।
मुख्य संदर्भदाता उत्तरकाशी से आए श्री विनोद कुमार ने प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं को चीड़ की पत्तियों (पिरूल) से विभिन्न हस्तशिल्प उत्पाद बनाने की तकनीक सिखाई। उन्होंने इससे पहले भी कई शैक्षिक संस्थानों में पिरूल से उत्पाद निर्माण का प्रशिक्षण दिया है। कार्यशाला में प्रशिक्षुओं ने पैन स्टैंड, टोकरी, प्लेट, टैडी बियर सहित अन्य आकर्षक हस्तशिल्प उत्पाद तैयार किए।
कार्यक्रम समन्वयक के रूप में सीमा शर्मा, निर्मला सिंह, डॉ. सुमन नेगी, दीपक रतूड़ी और डॉ. वीर सिंह रावत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, प्रशिक्षु अंकिता बिष्ट, तन्नू वर्मा, अंकित कृथ्वाल, मीनाक्षी, मनीषा नेगी, शिवानी और प्रवीण कुमार ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।
राज्य सरकार द्वारा पिरूल के सदुपयोग के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनमें ‘पिरूल लाओ, पैसे पाओ’ अभियान, पिरूल से बिजली और ईंट निर्माण जैसी पहल शामिल हैं। स्कूलों में भी कौशलम कार्यक्रम के तहत छात्रों को पिरूल से जुड़ी हस्तशिल्प कला का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।