धारकोट के रहस्यमयी जंगलों में दुर्लभ जीवों का अनोखा संसार

टिहरी गढ़वाल। घने और समृद्ध जंगलों से घिरा ऐतिहासिक ग्रामसभा धारकोट (पट्टी धारमंडल, प्रतापनगर, टिहरी गढ़वाल) दुर्लभ और विलुप्तप्राय जीवों की शरणस्थली बनता जा रहा है।
यहां की जैव विविधता किसी चमत्कार से कम नहीं है, जहां हिमालयन बटेर (Himalayan quail), हिमालयन सीरो (Himalayan serow), और मुखौटामुखी ताड़ कस्तूरी बिलाव (Himalayan palm civet) जैसे अद्वितीय जीव निवास करते हैं। ये प्रजातियां पूरे विश्व में संकटग्रस्त हैं और यहां के जंगलों में उनका देखा जाना जैव विविधता संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत है।
इन दुर्लभ जीवों के अलावा धारकोट के घने जंगलों में भालू, तेंदुआ, बारासिंघा, हिरन, जंगली सूअर, चिर पीजेंट, खलिज पीजेंट और लेपर्ड कैट जैसी कई वन्यजीव प्रजातियां पाई जाती हैं। इन जीवों को संरक्षित करने और दुनिया के सामने लाने के उद्देश्य से ‘इकोसंस्कृती’ नाम की संस्था लगातार प्रयासरत है। यह संस्था, जिसे हैरी नेगी, योगेंद्र नेगी, ऋषव विश्वास और डॉ. सैस विश्वास संचालित कर रहे हैं, जंगलों में ट्रैप कैमरे लगाकर इन वन्यजीवों की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर रही है और विभिन्न राज्यों के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार आयोजित कर रही है।
संस्था का लक्ष्य इस क्षेत्र को वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी का दर्जा दिलाना है, जिससे न केवल दुर्लभ जीवों को संरक्षण मिलेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। साथ ही, इस ऐतिहासिक स्थल की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य को संरक्षित रखा जा सकेगा।
प्रकृति प्रेमियों, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफरों और बर्ड वॉचिंग के शौकीनों के लिए यह स्थान किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यदि आप दुर्लभ जीवों को करीब से देखना चाहते हैं और प्रकृति की गोद में कुछ अनमोल क्षण बिताना चाहते हैं, तो धारकोट आपका खुले दिल से स्वागत करता है।