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बच्चों में मोबाइल की लत: कारण, दुष्प्रभाव और बचाव के प्रभावी उपाय

बच्चों में मोबाइल की लत: कारण, दुष्प्रभाव और बचाव के प्रभावी उपाय
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आज के तकनीकी युग में मोबाइल फोन हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। संचार, शिक्षा, मनोरंजन और सूचना प्राप्त करने के लिए मोबाइल का उपयोग बढ़ता जा रहा है, विशेष रूप से बच्चों के बीच। हालांकि, जहां यह उपकरण ज्ञान और शिक्षा के नए द्वार खोलता है, वहीं इसके अत्यधिक उपयोग से बच्चों में मोबाइल की लत लगने की समस्या भी बढ़ रही है। यह लत उनके मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।

बच्चों में मोबाइल की लत के कई कारण होते हैं। मनोरंजन की आसान उपलब्धता इसकी एक बड़ी वजह है, क्योंकि गेम्स, यूट्यूब, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म बच्चों को आकर्षित करते हैं और धीरे-धीरे यह आदत में बदल जाता है। कोविड-19 महामारी के बाद से ऑनलाइन शिक्षा और होमवर्क के चलते बच्चों को मोबाइल का अधिक उपयोग करना पड़ा, जिससे उनकी रुचि पढ़ाई से हटकर अन्य ऐप्स और गेम्स की ओर बढ़ने लगी। माता-पिता की व्यस्तता भी इस लत को बढ़ावा देती है, क्योंकि बच्चे को व्यस्त रखने के लिए उन्हें मोबाइल थमा दिया जाता है। 

साथियों का प्रभाव भी एक महत्वपूर्ण कारण है — जब दोस्त किसी नए गेम या ट्रेंड को फॉलो करते हैं, तो बच्चे भी उनका अनुसरण करने लगते हैं। इसके अलावा, घर में मोबाइल फोन की आसान उपलब्धता बच्चों को बिना रोक-टोक मोबाइल का उपयोग करने की आदत डाल देती है।

मोबाइल की लत के दुष्प्रभाव व्यापक हैं। शारीरिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है, जैसे आंखों में जलन, सिरदर्द, धुंधलापन, नींद की कमी और शारीरिक गतिविधियों में गिरावट, जिससे मोटापा और सुस्ती बढ़ती है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है — बच्चे चिड़चिड़े, गुस्सैल और बेचैन हो जाते हैं। उनकी ध्यान केंद्रित करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे पढ़ाई में रुचि घट जाती है और परीक्षा में प्रदर्शन कमजोर होता है। सोशल मीडिया पर तुलना करने से बच्चे हीन भावना और अवसाद का शिकार हो सकते हैं।

इसके अलावा, बच्चों का सामाजिक व्यवहार भी बदलने लगता है। वे परिवार और दोस्तों से कटने लगते हैं, अकेलापन महसूस करते हैं और वास्तविक दुनिया से दूर हो जाते हैं।

इस लत से बचाव के लिए माता-पिता और शिक्षकों को मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। सबसे पहले, बच्चों के मोबाइल उपयोग का समय सीमित करना जरूरी है। दिन में एक या दो घंटे से ज्यादा मोबाइल का उपयोग न करने दें। बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों जैसे खेल, कला, संगीत, नृत्य, और किताबें पढ़ने की ओर प्रेरित करें, ताकि उनका ध्यान मोबाइल से हटे। परिवार के साथ समय बिताना बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है — खाना खाते समय, घूमने के दौरान, और बातचीत के समय मोबाइल से दूर रहना चाहिए।

माता-पिता को खुद भी रोल मॉडल बनना चाहिए। यदि वे खुद मोबाइल का संतुलित उपयोग करेंगे, तो बच्चे भी उनका अनुसरण करेंगे। बच्चों के मोबाइल उपयोग पर निगरानी रखना जरूरी है कि वे क्या देख रहे हैं और किन ऐप्स का उपयोग कर रहे हैं। अनावश्यक और हानिकारक कंटेंट को ब्लॉक करें।

मोबाइल की लत से बच्चों के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। समय रहते अगर इस लत पर नियंत्रण किया जाए, तो बच्चों का भविष्य बेहतर बनाया जा सकता है। संतुलन और रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देकर इस समस्या से बचा जा सकता है। बच्चों को मोबाइल के सकारात्मक और नकारात्मक पक्षों की समझ देकर उसका सीमित और सही उपयोग सिखाना ही इस समस्या का स्थायी समाधान है।


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Govind Pundir

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