नरेंद्र नगर राजमहल में भगवान बद्री विशाल के अभिषेक और अखंड ज्योति के लिए पिरोया तिल का तेल

टिहरी गढ़वाल, 22 अप्रैल 2025 । विश्व प्रसिद्ध भू-बैकुंठ धाम श्री बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तैयारियां उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में पूरे उत्साह के साथ शुरू हो चुकी हैं।
नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में मंगलवार को पौराणिक परंपराओं के साथ भगवान बद्री विशाल के अभिषेक और अखंड ज्योति के लिए तिल के तेल की पिरोई का भव्य आयोजन किया गया।

इस अवसर पर राजमहल को फूल-मालाओं से दुल्हन की तरह सजाया गया, और टिहरी सांसद व महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह की उपस्थिति में विधि-विधान से पूजा-अर्चना संपन्न हुई।
पवित्र परंपरा का निर्वाह:
बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया की शुरुआत नरेंद्रनगर राजमहल से निकलने वाली गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा से होती है। इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है तिल के तेल की पिरोई, जो भगवान बद्री विशाल के अभिषेक और अखंड ज्योति के लिए उपयोग होता है। परंपरागत तरीके से, बिना किसी मशीन के, डिमरी समाज और राजपरिवार की 40 से अधिक सुहागिन महिलाओं ने पीले वस्त्र धारण कर सिलबट्टे पर तिल पिरोकर तेल निकाला। यह प्रक्रिया न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
04 मई को खुलेंगे बद्रीनाथ धाम के कपाट:
बसंत पंचमी के पावन अवसर पर राजपुरोहितों द्वारा गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा और कपाट खुलने की तिथि तय की गई। इस वर्ष श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट 04 मई, 2025 को प्रातः 6 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। यह पवित्र तेल बद्रीनाथ धाम में भगवान के अभिषेक के लिए प्रयोग किया जाएगा, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक अनुभव का प्रतीक है।
महारानी का संदेश: चारधाम यात्रा में शामिल हों
महारानी माला राज्य लक्ष्मी शाह ने इस अवसर पर कहा, “श्री बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रथम प्रक्रिया नरेंद्रनगर राजमहल में तिल के तेल की पिरोई से शुरू होती है। यह हमारी समृद्ध परंपराओं का प्रतीक है। बद्रीनाथ धाम में प्रथम पूजा नरेंद्रनगर राजा के नाम से संपन्न होती है, जो गर्व की बात है।” उन्होंने देश-विदेश के श्रद्धालुओं और पर्यटकों से चारधाम यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया।
सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव:
नरेंद्रनगर का राजमहल इस पवित्र आयोजन के दौरान उत्सव के रंग में डूबा रहा। तिल की पिरोई और गाडू घड़ा यात्रा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का एक अनुपम उदाहरण है। यह परंपरा न केवल धार्मिक आस्था को बल देती है, बल्कि स्थानीय समुदाय और श्रद्धालुओं को एकजुट करने का भी माध्यम है।
चारधाम यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता:
चारधाम यात्रा, विशेष रूप से बद्रीनाथ धाम, हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है। तिल के तेल की पिरोई और गाडू घड़ा यात्रा जैसे आयोजन इस यात्रा को और भी खास बनाते हैं। जैसे-जैसे कपाट खुलने की तारीख नजदीक आ रही है, श्रद्धालुओं में उत्साह बढ़ता जा रहा है।यह आयोजन न केवल उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं को भगवान बद्री विशाल के दर्शन के लिए आमंत्रित करता है। तो आइए, इस 04 मई को भू-बैकुंठ धाम की पवित्र यात्रा का हिस्सा बनें!नोट: अधिक जानकारी के लिए चारधाम यात्रा की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।