बैंक सखी योजना बनी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए वरदान

गांव में ही मिल रही बैंकिंग सुविधा, महिलाओं को मिला आत्मनिर्भरता का रास्ता
पौड़ी 12 अप्रैल 2025 । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशन में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत संचालित बैंक सखी योजना आज ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं और ग्राहकों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के माध्यम से अब गांवों में ही लोगों को बैंकिंग सेवाएं मिल रही हैं, जिससे उन्हें बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती और महिलाओं को आय का नया जरिया भी प्राप्त हुआ है।
जनपद पौड़ी में अब तक 278 महिलाओं को बैंकिंग और विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। इनमें से 22 महिलाओं को ग्राहक सेवा केंद्र की आईडी प्रदान कर सेवाएं प्रारंभ करवाई गई हैं। इन बैंक सखियों को प्रतिमाह औसतन 8 से 10 हजार रुपये की आमदनी हो रही है।
बैंक सखियां न केवल बैंकिंग कार्य जैसे बचत खाता खोलना, जमा-निकासी, ऋण और धन प्रेषण जैसी सेवाएं दे रही हैं, बल्कि कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से बीमा पंजीकरण, आयुष्मान भारत योजना, केवाईसी सहित अनेक सरकारी योजनाओं की सुविधाएं भी ग्रामीणों को घर बैठे उपलब्ध करा रही हैं।
बायोमीट्रिक डिवाइस और माइक्रो एटीएम से डिजिटल सेवाएं
परियोजना निदेशक डीआरडीए, विवेक उपाध्याय ने बताया कि सभी बैंक सखियों को अधिकृत बायोमीट्रिक डिवाइस और माइक्रो एटीएम मशीन उपलब्ध कराई गई हैं। इनके माध्यम से वे डिजिटल लेनदेन कर रही हैं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय साक्षरता और सुविधा दोनों को बढ़ावा मिला है।
मुख्य विकास अधिकारी गिरीश गुणवंत के अनुसार, पहले चरण में 110 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया था, जबकि हाल ही में 168 महिलाओं को और प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। अब तक बैंक सखी योजना के माध्यम से लगभग 95 लाख रुपये का लेन-देन संपन्न हो चुका है। उन्होंने कहा कि यह योजना ग्रामीण महिलाओं को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें गांव में ही रोजगार का स्थायी साधन भी उपलब्ध करा रही है।
बैंक सखियों और ग्रामीणों के अनुभव
बैंक सखी सपना देवी ने बताया, “मुझे एनआरएलएम के माध्यम से प्रशिक्षण मिला और आवश्यक मशीनें भी प्रदान की गईं। अब मैं बैंक परिसर और गांवों में जाकर ग्राहकों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध करा रही हूं। इससे मुझे आर्थिक रूप से भी लाभ हुआ है।”
वहीं शीतल देवी ने कहा, “यह योजना हमारे लिए आत्मनिर्भरता का माध्यम बनी है। प्रशिक्षण के बाद अब हम बैंकिंग से जुड़े कार्यों को आसानी से कर पा रहे हैं।”
ग्रामीण निवासी रुकम सिंह ने बताया, “पहले मामूली रकम के लिए भी दूर बैंक जाना पड़ता था। अब जरूरत पड़ने पर फोन करने पर बैंक सखी घर आकर कैश दे जाती हैं। यह सुविधा हमारे लिए बहुत उपयोगी है।”
बैंक सखी योजना न केवल ग्रामीण ग्राहकों को बैंकिंग सेवा उपलब्ध करा रही है, बल्कि महिलाओं के लिए यह आर्थिक आजादी और सशक्तिकरण का माध्यम बन चुकी है। इस योजना ने ग्रामीण विकास की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ाया है।