चारधाम यात्रा: मलेथा-मरोड़ा मिसिंग रेल लिंक बनने से श्रद्धालुओं को मिलेगा फायदा- किशोर

टिहरी गढ़वाल 10 अप्रैल 2025। चारधाम यात्रा को सुगम और सुलभ बनाने के लिए उत्तराखंड में रेलवे का विस्तार तेजी से हो रहा है। इसी कड़ी में टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने मलेथा से मरोड़ा-तिवाड़गांव तक एक मिसिंग रेल लिंक विकसित करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि यदि यह लिंक बनता है, तो यात्री बिना ऋषिकेश या डोईवाला लौटे सीधे गंगोत्री से केदारनाथ और बद्रीनाथ के लिए रेल यात्रा कर सकेंगे। उन्होंने मीडिया से भी इस मुद्दे को ज़ोर शोर से उठाने की अपील की।
रेल मंत्री को भेजा प्रस्ताव, सर्वे के निर्देश जारी
विधायक उपाध्याय आज अपने आवास पर मीडिया से बातचीत कर रहे थे और बताया कि 27 मार्च को उन्होंने इस प्रस्ताव को लेकर दिल्ली में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को पत्र सौंपा। इस पर तुरंत कार्रवाई करते हुए 29 मार्च को रेल मंत्री ने रेलवे बोर्ड और रेल विकास निगम को मार्ग के सर्वेक्षण के निर्देश दिए हैं। उपाध्याय ने इसके लिए मंत्री जी का आभार व्यक्त किया।
विधायक ने कहा कि मलेथा (वीर माधो भंडारी की जन्मस्थली) से मरोड़ा (पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा जी का गांव) तक लगभग 40 किमी लंबी इस रेल लाइन पर 1,000 से 2,000 करोड़ रुपये का खर्च आने का अनुमान है। यदि यह परियोजना पूरी होती है, तो उत्तराखंड में तीर्थयात्रा का अनुभव पूरी तरह बदल जाएगा और बच्चों को रोजगार भी मिलेगा।
रोजगार और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि यह लिंक बनने से यात्रियों को चारधाम यात्रा में बड़ी राहत मिलेगी और हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। उन्होंने सभी स्थानीय सांसदों और विधायकों से अपील की है कि वे भी अपने स्तर पर इस परियोजना को आगे बढ़ाने में योगदान दें।
रेलवे अधिकारियों से जल्द बैठक करेंगे विधायक
विधायक ने कहा कि वह जल्द ही रेलवे अधिकारियों से मिलकर इस परियोजना को जल्द से जल्द अमल में लाने के लिए चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए यह कदम बेहद जरूरी है और वह इसके लिए हर संभव प्रयास करेंगे। इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष उदय सिंह रावत , पूर्व अध्यक्ष विनोद रतूड़ी ,पंडित सुनील शास्त्री, डॉ प्रमोद उनियाल , विजय कठैत, असगर अली, जयेंद्र पंवार
राजेंद्र डोभाल आदि मौजूद रहे।
अगर यह रेल लिंक बनता है, तो चारधाम यात्रा का नक्शा बदल जाएगा। क्या यह परियोजना उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थयात्रा में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है?